केरल में ईडी अधिकारी बनकर बीड़ी व्यापारी से 30 लाख की ठगी, एक आरोपी गिरफ्तार

दक्षिण कन्नड़ पुलिस ने केरल के कोल्लम जिले से एक ठग को गिरफ्तार किया है, जिस पर अन्य कई लोगों के साथ मिलकर विट्ठल में एक व्यवसायी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का अधिकारी बनकर 30 लाख रुपए की ठगी करने का आरोप है. पुलिस ने आरोपी की पहचान अनिल फर्नांडीस (49) के रूप में की है. पुलिस ने अपराध में इस्तेमाल की गई गाड़ी और नकली नंबर प्लेट को भी जब्त कर लिया है.

दर्ज मामले के अनुसार, ये छह लोग 3 जनवरी को रात करीब 8:10 बजे विट्ठल थाने की सीमा के तहत आने वाले कोलनाड में एम. सुलेमान नामक एक कृषि और बीड़ी व्यापारी के घर पहुंचे. उन्होंने खुद को ईडी अधिकारी बताया और परिवार के सदस्यों को बताया कि उनके पास घर की तलाशी का वारंट है. उन्होंने नकदी और परिवार के सदस्यों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए और परिवार के सदस्यों से कहा कि बाद में फोन ईडी के बेंगलुरु कार्यालय से उन्हें वापस कर दिए जाएंगे.

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को लगाई फटकार

घटना के तुरंत बाद विधानसभा अध्यक्ष यूटी खादर ने सुलेमान से उनके घर पर मुलाकात की थी और अपनी हाल की मंगलुरु यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने भी इस घटना को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई थी. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने अपराध में इस्तेमाल की गई गाड़ी और नकली नंबर प्लेट बरामद कर ली है. उन्होंने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए छापेमारी की जा रही है.

साइबर घोटाले का शिकार

बता दें कि 19 जनवरी को बेंगलुरू में टेक इंडस्ट्री में काम करने वाला एक व्यक्ति साइबर घोटाले का शिकार बन गया और उसने 11 करोड़ रुपये गंवा दिए. इस मामले में ठगों ने सरकारी अधिकारी बनकर पीड़ित को फोन किया और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार करने की धमकी दी.

तीन आरोपी गिरफ्तार

घटना के बाद पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया. पुलिस के मुताबिक, आरोपियों को पता चला कि पीड़ित विजय कुमार ने 50 लाख रुपए का बाजार निवेश किया था, जो बढ़कर 12 करोड़ रुपए हो गया था. इसके बाद उन्होंने पुलिस, कस्टम और प्रवर्तन निदेशालय (ED) अधिकारी बनकर कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तारी की धमकी दी.

इसके बाद विजय कुमार ने अपने आधार, पैन कार्ड और केवाईसी जानकारी जैसी व्यक्तिगत जानकारी आरोपियों को दी, जिसके बाद वे कई महीनों तक नौ बैंक खातों में पैसे जमा करने में सफल रहे. उन्होंने दावा किया कि यह उनका नाम साफ करने के लिए सरकारी प्रक्रियाओं का हिस्सा था. पीड़ित से शिकायत मिलने के बाद, साइबर अपराध पुलिस ने जांच शुरू की और इलाहाबाद में एक ही खाते में 7.5 करोड़ रुपए का पता लगाया गया.

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