सोमवार को मध्य प्रदेश के महू में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने राजा-महाराजाओं को लेकर एक टिप्पणी की थी, जिस पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कड़ी आपत्ति की। सिंधिया की आपत्ति पर अब कांग्रेस ने पलटवार किया है और आजादी से पहले शाही परिवारों के अंग्रेजों के प्रति कथित प्यार का हवाला दिया और कहा कि हम उसे नहीं भूल सकते।
क्या बोले थे राहुल गांधी
रैली के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि ‘देश की आजादी के साथ बड़े बदलाव आए। आजादी से पहले दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के कोई अधिकार नहीं थे और सिर्फ राजा-महाराजाओं को ही अधिकार मिले हुए थे। आजादी के बाद आपको (आम जनता) जमीन और अधिकार मिले, लेकिन भाजपा और आरएसएस आजादी के पहले का भारत बनाना चाहते हैं, जहां आम आदमी के कोई अधिकार न हो और सिर्फ अदाणी और अंबानी जैसे लोगों के ही अधिकार रहें। वे चाहते हैं कि गरीब खामोशी में परेशान होता रहे और सपने न देखे। देश को सिर्फ अरबपति चलाएं।’
सिंधिया ने राहुल गांधी के बयान पर बोला हमला
राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ‘संविधान को अपनी पॉकेट डायरी समझने वाले राहुल गांधी ने आजादी से पहले के भारत में शाही परिवारों की भूमिका को लेकर जो कहा है, उससे उनकी छोटी सोच और कम समझ का पता चलता है।’ सिंधिया ने कहा कि ‘अपनी सत्ता की भूख में वह भूल गए हैं कि इन्हीं शाही परिवारों ने देश में वर्षों पहले समानता और समावेश की नींव रखी थी। वह भूल गए कि बड़ौदा महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को आर्थिक मदद दी ताकि वे अपनी पढ़ाई कर सकें। छत्रपति साहूजी महाराज ने साल 1902 में ही सामाजिक न्याय की नींव रख दी थी और अपने शासन में बहुजनों को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया था। पिछड़े वर्ग को सशक्त करने के लिए माधव महाराज प्रथम ने पूरे ग्वालियर-चंबल के क्षेत्र में शिक्षा और रोजगार के केंद्र खोले। ये कांग्रेस है, जिसने तानाशाही विचारधारा को जन्म दिया और दलितों, पिछड़ों और वंचितों के हक पर हमला किया। राहुल गांधी पहले इतिहास पढ़ें और फिर बयान दें।’
कांग्रेस का सिंधिया पर पलटवार
सिंधिया पर पलटवार करते हुए कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘अगर 26वां संविधान संशोधन न हुआ होता तो आज भी ग्वालियर शाही परिवार को भारत सरकार से करोड़ों रुपये की कर मुक्त रकम मिल रही होती। आपने साल 1971 तक भारत में विलय की कीमत वसूली। आप शायद भूल गए होंगे कि शाही परिवारों का अंग्रेजों के प्रति क्या प्यार रहा था, लेकिन हम नहीं भूल सकते। इतिहास गवाह है कि शाही परिवार की पिस्तौल का इस्तेमाल करके ही राष्ट्रपति महात्मा गांधी की हत्या की गई थी।’ खेड़ा ने लिखा कि ‘कुछ राजाओं के अच्छे कामों की वजह से कई शाही परिवारों के गलत कामों पर पर्दा नहीं डाला जा सकता। पंडित नेहरू और सरदार पटेल ने राजाओं पर दबाव बनाकर आम जनता के हाथों में लोकतंत्र की विरासत सौंपी, लेकिन कुछ शाही परिवार अभी भी बचे हुए हैं।’