सुप्रीम कोर्ट ने आज एक पति-पत्नी के विवाद में काफी सख्त टिप्पणी की. महिला आईपीएस अधिकारी है और वह अपने बिजनेसमैन पति से अलग रह रही है. महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जून 2022 के फैसले को चुनौती दी है. उच्च न्यायालय ने महिला की ओर से दर्ज आपराधिक मामले में व्यक्ति के माता-पिता को आरोप मुक्त कर दिया था. आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और के. विनोद चंद्रन की बेंच ये सुनवाई कर रही थी.
जब पुरुष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह आशंका जताई कि उस शख्स को जीवन भर कष्ट सहना पड़ेगा क्योंकि पत्नी एक आईपीएस अधिकारी है. पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों को इस विवाद को सुलझा लेना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि – महिला एक आईपीएस अधिकारी है. पुरूष एक बिजनेसमैन हैं. ऐसे में, अदालत में समय बर्बाद करने की जगह विवाद को आपस में सुलझा लेना चाहिए. हां, हम अगर कोई उत्पीड़न होता है तो हम आपकी रक्षा के लिए यहां हैं.
बिजनेसमैन के वकील ने क्या कहा?
बिजनेसमैन शख्स के वकील ने कहा कि महिला की ओर से दर्ज कराए गए कुछ मामलों के कारण उनका मुवक्किल और उसके पिता जेल में बंद हैं. पुरुष के वकील ने आरोप लगाया कि महिला का ये बयान गलत है कि अलग रह रही पत्नी ने के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं है. पुरुष पक्ष का कहना है कि जिस दिन महिला भारतीय पुलिस में शामिल हुई, उस दिन उसके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज हो चुका था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा?
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी इसमें अधिक दिलचसप्पी नजर आती है कि उस महिला अधिकारी की नौकरी चली जाए. इस पर वकील ने कहा कि अगर महिला ने अपने फॉर्म में कोई गलत बयान दिया है, तो गृह मंत्रालय को कार्रवाई करनी चाहिए. अदालत ने बड़े सख्त लहजे में कहा कि – आपको अपनी जान बचाने में कम दिलचस्पी है. जबकि ये सुनिश्चित करने में अधिक कि उसका करियर ही खत्म हो जाए. ऐसे में, उसकी जिंदगी बर्बाद करने की कोशिश में आप अपनी जिंदगी भी बर्बाद कर लेंगे.
पीठ ने साफ किया कि पुरुष पक्ष समझौते में दिलचस्पी नहीं देता दिखलाई देता. अदालत ने सुझाव दिया कि वे विवाद को खुद ही सुलझा लें. हां, अगर आपको कोई आशंका है, तो हम अपने आदेश में उसका ध्यान रखेंगे. दोनों पक्षों की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि वे मिल-बैठकर विवादों का सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाने और एक हल निकालने की कोशिश करेंगे. अदालत ने अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है.