कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी क्लैट 2025 की आंसर-की को लेकर विवाद अभी भी जारी है. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, जिसपर 6 फरवरी को सुनवाई हो सकती है. दरअसल, परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवार आदित्य सिंह ने क्लैट 2025 के रिजल्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 6 फरवरी क्लैट से जुड़े दो मामलों की एकसाथ सुनवाई हो सकती है. दूसरे मामले में प्रतिवादी अश्लेषा अजीतसारिया हैं. इन दोनों ही मामलों में कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज को कटघरे में खड़ा किया गया है.
क्यों महत्वपूर्ण है ये सुनवाई?
दरअसल, क्लैट 2025 से जुड़ा ये मामला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके खिलाफ देशभर की अदालतों में याचिकाएं दायर की गई हैं, जो लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले ये मामला हाईकोर्ट में था, लेकिन हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता की तीन आपत्तियों को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ही याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में क्या होगा?
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में उन हाईकोर्ट के नाम तय किए जा सकते हैं, जिसमें क्लैट 2025 से जुड़े सभी मामले ट्रांसफर किए जाएंगे. दरअसल, इस मामले में तेजी लाने और काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट यह फैसला सुना सकता है. इससे पहले 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जो सुनवाई हुई थी, उसमें सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवार की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था और संकेत दिया था कि विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित क्लैट 2025 के सभी मामलों को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में स्थानांतरित किया जा सकता है.
क्या है पूरा मामला?
कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज ने क्लैट 2025 यूजी का जो आंसर-की जारी किया था, उसमें गलतियों को लेकर कई उम्मीदवारों ने आपत्तियां दर्ज कराई थीं. हालांकि अब तक दिल्ली हाईकोर्ट ने आदित्य सिंह द्वारा दायर याचिका के आधार पर क्लैट 2025 यूजी आंसर-की में दो बदलाव किए हैं और एनएलयू को संशोधित रिजल्ट जारी करने का निर्देश दिया है, लेकिन उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख इसलिए किया है, क्योंकि हाईकोर्ट ने उम्मीदवारों की बाकी तीन आपत्तियों को खारिज कर दिया था.
इस मामले में कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज ने हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया है और तर्क दिया है कि क्लैट 2025 की आंसर-की एक्सपर्ट द्वारा तैयार की गई है और कोर्ट इस मामले में एकेडमिक एक्सपर्ट के रूप में काम नहीं कर सकती है और मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.