शिमला में बिजली बोर्ड मुख्यालय के बाहर इंजीनियर-कर्मचारियों का धरना

हिमाचल सरकार द्वारा बिजली बोर्ड में करीब 700 पद समाप्त करने के विरोध में बिजली बोर्ड इंजीनियरों और कर्मचारियों ने बुधवार को बोर्ड मुख्यालय शिमला के बाहर प्रदर्शन किया। बिजली बोर्ड इंजीनियर और कर्मचारियों ने सरकार के इस फैसले के लिए लंबी लड़ाई लड़ने का एलान कर दिया है। यही नहीं बिजली बोर्ड के रिटायर पेंशनरों ने भी इस लड़ाई में कूद जाने का एलान किया है।

इंजीनियर और कर्मचारियों की जॉइंट एक्शन कमेटी के संयोजक हीरालाल वर्मा ने बताया कि 11 फरवरी को हमीरपुर में प्रदेश सरकार के खिलाफ बड़ी रैली रखी गई है। इसके बाद सभी जिलों के आंदोलन की अगली रूपरेखा तय होगी।

हीरालाल वर्मा ने बताया कि बिजली बोर्ड के निदेशक मंडल ने 700 पद समाप्त करने की मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने भी फाइल पर साइन कर दिए है। अब औपचारिक घोषणा बाकी है। उन्होंने कहा, बिजली बोर्ड पहले ही कर्मचारियों की कम संख्या से जूझ रहा है। एक कर्मचारी चार-चार लोगों का काम कर रहा है। इस बीच क्लास-1 से क्लास-4 तक सभी श्रेणियों के लगभग 700 पद खत्म करने की तैयारी चल रही है।

हीरालाल वर्मा ने कहा कि शिमला में हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड कर्मचारी, अभियंता और पेंशनर्ज की जॉइंट एक्शन कमेटी की बैठक यहां हुई जिसमें बिजली बोर्ड के ढांचे के साथ कि जा रही छेड़छाड़ के खिलाफ पुरजोर विरोध किया और निम्न मुद्दों पर प्रदेशभर में आंदोलन को और तेज करने का फैसला लिया है।

1. बिजली बोर्ड में पुरानी पेंशन बहाल की जाए।
2. बिजली बोर्ड में युक्तिकरण के नाम पर पदों को समाप्त करना बंद किया जाए और बोर्ड में नई भर्तियां शुरू की जाएं।
3. बिजली कर्मचारियों व अभियंता के साथ जून 2010 में हुए समझौते को लागू करते हुए बिजली बोर्ड के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
4. बिजली बोर्ड पेंशनर्स के सेवानिवृति के लाभ और पेन्शन की बकाया राशि की अदायगी शीघ्र की जाए।
5. बिजली बोर्ड में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाई जाए और भविष्य में आउटसोर्स भर्ती बंद की जाए। 
6. बिजली बोर्ड में सबस्टेशन व पावर हाउस की ऑपेरशन एंड मेंटेनेंस आउटसोर्सिंग बंद की जाए।

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