गलत राह… अमेरिका से लौटे पंजाब के युवाओं की आठ कहानियां

पंजाब में पहले की ही विदेश में नौकरी करने और वहां बसने का ट्रेंड रहा है। पंजाब के लोग डॉलर कमाने की चाह में अपनी जगह-जमीन बेचकर विदेश चले जाते हैं। बुधवार को अमेरिका से डिपोर्ट होकर लौटे 104 लोगों ने कभी कभी भी सोचा नहीं था कि उन्हें इस कदर बेड़ियों और हथकड़ियों में बांधकर वापस भेजा जाएगा। इन लोगों में 30 पंजाबी भी हैं। इनमें ज्यादातर युवा हैं जो डौंकी रूट के जरिये अमेरिका पहुंचे थे। 

ज्यादातर युवाओं के लिए उनके माता-पिता की जीवन भर की पूंजी को दांव पर लगा दी। कुछ ने जमीन बेच कर बच्चों को विदेश भेजा, तो कुछ ने बैंक से भारी कर्ज लेकर। लेकिन अब इनके पास पछतावे और सबक के अलावा और कुछ नहीं है। युवाओं ने डॉलर कमाने की चाह में डौंकी रूट का गलत रास्ता अपनाया था। अमेरिका से लौटे पंजाब के 10 युवाओं की यह कहानियां हर किसी को सोचने में मजबूर कर रही हैं। 

अमेरिका जाने की चाह गंवाए 45 लाख रुपये 

फतेहगढ़ साहिब के सबडिवीजन अमलोह में एक मध्यवर्गीय किसान परिवार का बेटा जसविंदर सिंह करीब दो-तीन महीने पहले यूरोप के वीजा पर विदेश पहुंचा था और उसके बाद मैक्सिको बॉर्डर पर उसकी गिरफ्तारी हो गई। सूत्रों के मुताबिक, जसविंदर सिंह अमलोह में गांव काहनपुरा का निवासी है। उसके पिता मंडी गोबिंदगढ़ में ही मिठाई की दुकान चलाते हैं और उनका दूध का छोटा-मोटा कारोबार भी है। जसविंदर सिंह पहले पिता के साथ दूध बेचने का भी काम करता रहा है। लेकिन अमेरिका जाने की इच्छा ने उनका करीब 45 लाख रुपये का नुकसान किया है। सूत्रों से जानकारी यह भी मिली है कि गत 15 जनवरी को वह मैक्सिको बॉर्डर पर गिरफ्तार हो गया और वहीं से उसका भारत वापस डिपोर्ट किया गया।

आठ माह पहले निकले थे घर से, डिटेंशन कैंप में बिताया समय

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों में दो लोग टांडा से हैं। इनमें से एक तो करीब एक माह पहले ही अमेरिका पहुंचा था, जबकि दूसरा आठ माह पहले इटली गया था लेकिन वहां से वह अमेरिका कैसे पहुंचा, इसकी फिलहाल जानकारी नहीं। परिवार के मुताबिक, गांव टाहली का हरविंदर सिंह पिछले महीने अवैध रूप से सीमा पार कर अमेरिका में घुसा था और पकड़े जाने के बाद से ही वहां के एक डिटेंशन कैंप में था। हरविंदर की पत्नी कुलजिंदर कौर ने बताया कि वह आठ महीने पहले घर से अमेरिका गया था और एजेंट ने उसे एक नंबर में यानी वैध तरीके से अमेरिका भेजने की बात की थी। कुलजिंदर कौर ने बताया कि 42 लाख रुपये लेने के बावजूद गांव के ही एक एजेंट ने उन्हें कानूनी तरीके से अमेरिका भेजने के बजाय धोखे से उसके पति को डौंकी के जरिये अमेरिका भेजा दिया। उसके पति ने 15 जनवरी को उसे संदेश भेजकर बताया कि वह सीमा पार कर अमेरिका पहुंच गया है। इसके बाद उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया और अब उन्हें उसके स्वदेश लौटने की सूचना मिली।

जमीन बेची, 18 लाख का कर्ज लेकर बेटे को भेजा अमेरिका

अमृतसर के राजाताल के सीमावर्ती गांव के वासी स्वर्ण सिंह का बेटा आकाशदीप सिंह भी सात महीने पहले अमेरिका गया था। उसे डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने 104 भारतीयों के साथ भारत वापस भेज दिया तो स्वर्ण सिंह के पैरों तले की जमीन खिसक गई। उनका पूरा परिवार गहरे सदमे में है। आकाशदीप सिंह दुबई होते हुए मैक्सिको गया और मैक्सिको से अमेरिका गया। आकाशदीप करीब सात महीने पहले घर से चला गया था। उनके परिजन मोबाइल फोन पर उनसे बात करते थे लेकिन जब वह अमेरिका चला गया तो उनके फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई।

एजेंट को 60 लाख देकर पति को भेजा था अमेरिका

अपने पति दिलेर सिंह को लेने एयरपोर्ट पर पहुंचीं चरणजीत कौर ने एजेंट द्वारा 60 लाख रुपये लेकर पति को अमेरिका भिजवाने की बात कही। उनका पति अमृतसर में बस चलाता था। उनके दो बच्चे हैं। करीब छह महीने पहले एजेंट की बातों में आकर उनके पति अमेरिका जाने के लिए मान गए और उन्होंने 40 लाख रुपये का इंतजाम कर उन्हें दिए। एजेंट ने पति को पहले दुबई भेजा, जहां करीब 10-15 रहने के बाद पति को एजेंटों ने आगे रवाना किया। इसके बाद से उनका पति से संपर्क पूरी तरह टूट गया था। उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि उनका पति वहां जिंदा भी हैं या नहीं। एजेंटों ने बीस लाख रुपये उनसे और मांगे जो उन्होंने किसी तरह दिए। इसके बाद 15 जनवरी को दिलेर सिंह को अमेरिका रवाना कर दिया गया और वह 23 जनवरी को वहां पहुंचे थे।

जमीन बेचकर एजेंट को दिया पैसा, बेटा डिपोर्ट होकर लौटा

एक अन्य व्यक्ति भी बेटे को लेने एयरपोर्ट पर पहुंचे थे। उन्होंने अपना नाम तो नहीं बताया लेकिन एजेंटों द्वारा ठगे जाने का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने जमीन बेचकर बेटे को विदेश भेजा था। उन्होंने कहा कि उनके पास तीन एकड़ जमीन थी, जिसे उन्होंने बेचा और करीब पचास लाख रुपये लगाकर एक साल पहले बेटे को अमेरिका भेजा था। एजेटों ने उनसे कहा था कि उनका बेटा सुरक्षित अमेरिका पहुंच जाएगा और काम पर भी लग जाएगा लेकिन करीब चार महीने जंगलों में भटकने के बाद वह वहां पहुंचा और अब उसे वापस डिपोर्ट कर दिया गया है।

बेटी के लिए बैंक से लिया कर्ज, रिश्तेदारों से उधार

जगरांव के मोहल्ला प्रताप नगर की रहने वाली है। वह एक साल पहले ही स्टडी वीजा पर यूके गई थी, जहां कुछ महीने रुकने के बाद एक एजेंट के जरिये अवैध तरीके से अमेरिका पहुंच गई। वहां करीब एक महीने तक रहने के बाद उसे डिपोर्ट कर दिया गया। मुस्कान के पिता जगदीश कुमार पुरानी सब्जी मंडी रोड पर एक ढाबा चलाते हैं। उन्होंने बताया कि चार बेटियों में सबसे बड़ी मुस्कान को विदेश में बसने का सपना देखा था। वह आइलेट्स कर बीती 4 जनवरी, 2024 में पढ़ाई करने के लिए यूके गई थी। इसके लिए बैंकों से कर्ज लिया और रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए। उन्हें आज ही पता चला कि बेटी को अमेरिका से डिपोर्ट कर दिया गया है। इमिग्रेशन और कस्टम क्लियरेंस के बाद मुस्कान को पंजाब पुलिस के हवाले कर दिया गया। देहात पुलिस के कर्मचारी सुबह से ही उसे लेने अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचे हुए थे। मुस्कान की वापसी से परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।

पिता दिहाड़ीदार, घर रखा था गिरवी

सुल्तानपुर लोधी के गांव तरफ बहबल बहादुर का गुरप्रीत सिंह अमेरिका से डिपोर्ट होकर आ गया है। उसके घर में पिता तरसेम सिंह का बेटे के डिपोर्ट होने की सूचना मिलने के बाद से रो-रोकर बुरा हाल है। दिहाड़ीदार तरसेम सिंह और उसके भाई महिंदर सिंह ने बताया कि उन्हें मीडिया के जरिये पता चला कि उसका बेटा भारत भेजा गया है। आंखों में आंसू और हकलाती जुबान से तरसेम सिंह ने बताया कि उसने बेटे को छह महीने पहले विदेश भेजने के लिए 42 लाख रुपये खर्च किए थे। 22 दिन पहले ही वह अमेरिका के बेस कैंप में पहुंचा था। उसे विदेश भेजने के लिए उसे घर तक गिरवी रख दिया और इतनी मोटी रकम इकट्ठा करने के लिए हाथ-पांव जोड़कर कुछ रिश्तेदारों से भी लाखों रुपये उधार लिए थे, वहीं कर्ज भी उठाया था। लेकिन अब सब कुछ तबाह हो गया है। अब उसे सिर्फ केंद्र व पंजाब सरकार से उम्मीद है कि उसके बेटे को पंजाब में ही कोई रोजगार की व्यवस्था करवा कर दे, जिससे वह अपने सिर से कर्ज के बोझ को उतार सके।

41 लाख खर्च कर बेटे को भेजा विदेश

मोहाली के लालडू़ के गांव जडौत का रहने वाला 23 वर्षीय प्रदीप भी अमेरिका से डिपोर्ट होकर लौटा है। प्रदीप के अमेरिका से लौटने पर परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिवार के लोग चिंता में डूबे हुए हैं। वहीं उनका रो-रो कर बुरा हाल है। जहां उन्हें बेटे के वापिस घर पहुंचने का इंतजार है, वहीं सिर पर चढ़े कर्ज की चिंता भी सता रही है। प्रदीप की दादी गुरमीत कौर, मां नरिंदर कौर उर्फ रानी, पिता कुलबीर ने उदास मन से बताया कि छह महीने पहले उन्होंने जमीन बेचकर और कर्ज लेकर 41 लाख खर्च कर बेटे प्रदीप को अमेरिका भेजा था। अभी वह डौंकी रूट के जरिये अमरिका में घुसा ही था कि बॉर्डर पुलिस ने उसे पकड़ लिया। परिवार के लोगों का कहना है कि उन्होंने लाखों रुपये खर्च कर प्रदीप को अमेरिका इसलिए भेजा था ताकि वह विदेश में कमाकर कर्ज चुका सके और अपने जीवन को भी बेहतर बना सके, लेकिन अब उसे वहां से डिपोर्ट कर दिया गया है। इस वजह से उनके ऊपर जो कर्ज है उसे कैसे चुकाया जाएगा। परिवार की प्रदीप से जो आस थी वह अब लगभग टूट चुकी है।  

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