कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने अमेरिका से डिर्पोटेशन के मुद्दे पर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि अब किसी का खून नहीं खौल रहा? अब किसी का राष्ट्रवाद नहीं जाग रहा है? अब किसी को दिक्कत नहीं हो रही? भारतीयों को चेनों में बांध कर हथकड़ियां पहनाकर अमेरिका भेज रहा है. हमारे देश की महिलाओं तक को चेन में बांधा गया.
उन्होंने कहा कि एक नाकारी सरकार के साथ-साथ वो सब लोग जो इसपर या तो चुप हैं, या आंखें मूंद ली हैं, या इसको सही ठहरा रहे हैं – आपका पाखंड और फर्जी राष्ट्रप्रेम देखकर दुख नहीं होता गुस्सा आता है.
उन्होंने कहा कि देश प्रेम की बात करने वालों-अगर अपने साथी भारतीयों के साथ यह होता देखकर तुम खुश हो रहे हो या सही ठहरा रहे हो तो खाक प्यार करते हो तुम इस देश से.
हमारे लोगों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भारत माता की जय बोलने वालों-वो जय नदी नालों पेड़ पहाड़ों गांव शहर से कहीं ज़्यादा हर एक भारतीय की है. क्रिकेट मैच में इंडिया इंडिया चीखने से, या जर्सी पहनना भर ही राष्ट्रप्रेम नहीं है – अपने मुल्क के लोगों के साथ अगर गलत हो तो उसके खिलाफ बोलना देशभक्ति है.
उन्होंने कहा कि किसी देश में अवैध रूप से जाना बिल्कुल गलत है और हर देश उससे निपटने के लिए भी स्वतंत्र है, लेकिन पूरी दुनिया में डंका बजने का दावा करने वाले अपने लोगों के साथ थोड़ी सी मानवता सुनिश्चित नहीं कर पाये? हमसे छोटे देशों ने अपने नागरिकों को बेड़ियां पहनाने का विरोध किया और हमारी सरकार से एक चूं तक ना निकला. उन्होंने कहा कि यह इज्जत है 140 करोड़ भारतीयों की? यह तूती बोल रही है हमारी कि हमारे लोगों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार हो?
नाकामी को सही कहने वालों की आत्मा तो कबकी मर चुकी
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि यह इसलिए लिख रही हूं, क्योंकि एक बार सोचिएगा – अगर अपना बच्चा गलती करे तो आप उसको डांटेंगे, शायद थप्पड़ भी जड़ दें लेकिन अगर कोई बाहरी व्यक्ति ऐसा करेगा तो आप कमर कस के लड़ने के लिए तैयार हो जाएंगे.
उन्होंने कहा कि तो हमारे लोगों के साथ अमेरिका ने इस बदसलूकी की सोची भी कैसे? अमेरिका ने हमारे देश के 104 लोगों को भेड़बकरी की तरह जंजीरों से बांधकर खदेड़ दिया. भेजने से पहले डिटेंशन सेंटर में रखा, फिर 40 घंटे प्रताड़ित किया.
सुप्रिया श्रीनेत ने तंज कसते हुए कहा कि आप जुमलों की बारिश करते रहे और हमारा देश बेइज्जती होता रहा और नाकामी को सही कहने वालों की आत्मा तो कबकी मर चुकी है – अब दिखावा भी खत्म हो गया, क्योंकि जो भी हो, यह है तो अपने लोग ही. और मेरा राष्ट्रवाद इनके साथ हुई अमानवीयता को किसी कीमत पर ठीक नहीं ठहरा सकता – अगर आपका ठहरा रहा है तो लानत है आप पर!