चुनाव में हार पर केजरीवाल करेंगे मंथन, बुलाई विधायकों की बैठक

दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पार्टीविधायकों की बैठक बुलाई है. चुनाव में हार के बाद रविवार को मुख्यमंत्री आतिशी ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. वह बैठक में पहुंच गई हैं.

किरारी से चुनाव जीते अनिल झा, बदरपुर के राम सिंह नेताजी, मटियामहल से आले इकबाल, सुल्तानपुर से मुकेश अहलावत, दिल्ली सरकार में मंत्री रहे इमरान हुसैन और पार्टी के राज्यसभा सांसद संदीप पाठक सहित अन्य बैठक में शामिल होने पहुंच गये हैं.

बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को करारी शिकस्त मिली है. दिल्ली विधानसभा चुनाव की कुल 70 सीटों में से भाजपा ने 48 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि आप को मात्र 22 सीटें मिली हैं. अब दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने वाली है, जबकि आप नेता अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज और सत्येंद्र जैन जैसे वरिष्ठ नेता चुनाव हार गये हैं.

चुनाव में हार आप के लिए बड़ा झटका

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप के आला नेताओं का हारना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. दिल्ली आप के हाथों से फिसल गई है और अब केवल पंजाब में ही आप की सरकार है. इसके साथ ही फिलहाल दिल्ली नगर निगम में भी आप के मेयर हैं. अब भाजपा की नजर दिल्ली नगर निगम पर भी है. ऐसे में आप के लिए यह बड़ी चुनौती है कि वह दिल्ली नगर निगम को बचाए रखे.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट मिली है. पार्टी के मतों के शेयर में पिछले 10 सालों में लगभग 13 प्रतिशत फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि इसी अवधि के दौरान आप के वोट शेयर में लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट आई है. वहीं कांग्रेस के वोट शेयर दो फीसदी बढ़े हैं, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली है.

चुनाव में गिरा आप के वोटों का शेयर

बता दें कि आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में 43.57 प्रतिशत वोट शेयर मिले हैं, जबकि 2020 के चुनावों में पार्टी का वोट शेयर 53.57 प्रतिशत था. वहीं साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54.5 प्रतिशत वोट मिले थे. यह शायद पहली बार है कि आप को चुनाव में 40 प्रतिशत से अधिक वोट मिले हैं, लेकिन न केवल उसके विधायकों की संख्या घटी है, बल्कि वह चुनाव भी हार गई है. वहीं,

विधानसभा चुनाव 2020 और विधानसभा चुनाव 2015 में पार्टी क्रमशः 67 और 62 सीटें हासिल दिल्ली में सरकार बनाई थी, लेकिन इस चुनाव में उसे करारी पराजय का सामना करना पड़ा.

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