पुलिस पर फायरिंग के दोषी को 5 साल की जेल

मुजफ्फरनगर पुलिस पर फायरिंग के मामले में अदालत ने करीब 13 साल बाद फैसला आया है, जिसमें अदालत ने आरोपी अजीत सिंह को दोषी करार देते हुए तमाम गवाहों और सबूतों की बिनाह पर 5 साल की सजा सुनाई, साथ ही एक हजार रुपये का अर्थदंड भी दिया। इसके अलावा करीब 16 साल पुराने एक अन्य जानलेवा हमले के मामले में भी अदालत ने दो आरोपियों को दोषी करार दिया और दोनों को सात-सात साल की सजा सुनाई। दोनों दोषियों पर अदालत ने 5-5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

पहला मामलाः 2012 का जानलेवा हमला

पहला मामला 6 सितंबर 2012 का है, जिसमें मुठभेड के दौरान थाना खतौली पुलिस पर अजीत नामक आरोपी ने अपने अन्य पांच साथियों के साथ फायरिंग की थी, जिसमें पुलिस बाल-बाल बची थी। इस मुठभेड में पुलिस ने अजीत समेत उसके अन्य पांचों साथियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य जुटाए और विवेचना पूरी करते हुए आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। करीब 13 साल से ये मामला अदालत में विचाराधीन था। गुरूवार को अदालत ने तमाम गवाहों और सबूतों के आधार पर आरोपी अजीत को दोषी करार देते हुए पांच साल की सजा और एक हजार रुपये का अर्थदंड दिया।

दूसरा मामलाः 2009 का हमलावर हमला

दूसरा मामला करीब 16 साल पुराना है। 27 दिसंबर 2009 को वादी द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई कि असगर और अखलाक नामक दो आरोपियों ने उनके पोते शुभम पर जानलेवा हमला किया। दोनों ने फायरिंग कर शुभम को घायल किया था। इस मामले में भी पुलिस ने साक्ष्य जुटाकर अभियुक्तों को गिरफ्तार किया और अदालत में प्रभावी पैरवी की। परिणामस्वरूप, असगर और अखलाक को 7-7 वर्ष की सजा और जुर्माना भरने का आदेश दिया गया।

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