सांप का भय, बदला भेष… मनदीप ने बताई अवैध प्रवास की डरावनी कहानी

मनदीप सिंह, 38 साल के भारतीय नागरिक हैं. हाल ही में वो अमेरिका से अवैध प्रवासियों के जत्थे में भारत आए. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि अमेरिका में बेहतर जीवन की तलाश के लिए उन्हें किन-किन मुसीबतों से गुजरना पड़ा. एक एजेंट ने उनसे वादा किया था कि वो उन्हें अमेरिका पहुंचा देगा, लेकिन उन्हें इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वहां जाने के लिए उन्हें खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ सकता है.

मनदीप ने बताया कि सिख होते हुए भी अपनी दाढ़ी काटने के लिए मजबूर किया गया. उन्हें कई दिनों तक खाने के बिना रखा गया. उन्हें मगरमच्छ और सांप जैसे खतरनाक जानवरों का सामना करना पड़ा.

मनदीप को मेक्सिको के तिजुआना से अमेरिका में प्रवेश करने का प्रयास करते हुए 27 जनवरी को अमेरिकी सीमा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उन्हें 116 अन्य भारतीय नागरिकों के साथ एक अमेरिकी सैन्य विमान द्वारा अमृतसर हवाई अड्डे पर वापस भेज दिया गया था. मनदीप ने कहा कि जब मैंने अपने एजेंट से बात की तो उसने मुझे भरोसा दिलाया था कि वो मुझे एक महीने के भीतर मुझे कानूनी तरीके से अमेरिका लेकर जाएगा.

सांप-मगरमच्छ का सामना करना पड़ा

एजेंट ने मनदीप से अमेरिका तक पहुंचाने के लिए 40 लाख रुपये की मांग की थी. मनदीप ने दो किस्तों में एजेंट को सारे रुपये दे दिए. उन्होंने पिछले अगस्त में अमृतसर से दिल्ली तक की हवाई यात्रा से शुरू हुई थी.

उन्होंने कहा कि दिल्ली से मुझे मुंबई, फिर नैरोबी और फिर दूसरे देश के रास्ते एम्स्टर्डम ले जाया गया. वहां से हमें सूरीनाम ले जाया गया. जब मैं वहां पहुंचा तो दूसरे एजेंट मुझसे 20 लाख मांगने लगे. और 20 लाख रुपये भी मेरे परिवार के लोगों ने एजेंट्स को दे दिया.

सूरीनाम से हम एक गाड़ी की मदद से उन्हें गुयाना ले जाया गया. उस पर कई लोग सवार थे. वहां से कई दिनों तक लगातार सफर करते हुए गुयाना, बोलिविया से होते हुए इक्वाडोर पहुंचे. इसके बाद समूह को पनामा के जंगलों को पार कराया गया. उन्होंने कहा कि यहां हमें दूसरे यात्रियों ने बताया कि अगर हमने बहुत ज़्यादा सवाल पूछे होते तो वो हमें गोली मार दी जाती.

हर दिन 12 घंटे का सफर

13 दिनों तक हम 12 नहरों वाले खतरनाक रास्ते से गुज़रे. जहां मगरमच्छ, सांप के साथ-साथ हमें सब कुछ सहना पड़ा. कुछ लोगों को इनसे निपटने के लिए लाठियां भी दी गई थीं.

उन्होंने बताया कि हमने कभी अधपकी रोटियां और कभी-कभी नूडल्स खाया, क्योंकि सही तरीके से भोजन तो दूर की बात भी नहीं की जाती थी. मनदीप ने बताया कि वो हर दिन 12 घंटे सफर किया करते थे. जब ​​हम तिजुआना पहुंचे, तब तक उनकी दाढ़ी जबरदस्ती काट दी गई. मनदीप की कहानी अवैध तरीके से जाने वाले प्रवासियों के खतरों को बताने के लिए काफी है.

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