वाशिंगटन डीसी में आयोजित कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस (सीपीएसी) में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने अपनी विचारधारा का खुलकर बचाव करते हुए वामपंथियों पर जोरदार हमला किया. मेलोनी ने कहा कि आजकल जब भी डोनाल्ड ट्रंप, मेलोनी, मिल्ली और नरेंद्र मोदी आवाज उठाते हैं, तो वामपंथी विचारधारा के लोग उन्हें और उनके लोकतंत्र को खतरा मानने लगते हैं. यह पूरी तरह से दोहरा मापदंड है, और हम इसके अभ्यस्त हो चुके हैं.
मेलोनी का बड़ा बयान
उन्होंने कहा कि अब लोग वामपंथियों के झूठ पर विश्वास नहीं करते, चाहे वे हमारे खिलाफ जितना भी कीचड़ उछालें. यह बात हमें गर्व से कहने का मौका देती है कि हमारे देश के नागरिक हमें ही वोट देते हैं.
मेलोनी ने ट्रंप की जीत पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उस समय वामपंथी घबरा गए थे. उन्होंने उदारवादी समूहों पर पाखंड का आरोप लगाते हुए कहा कि यह संगठन वैश्विक रूढ़िवादियों को गलत तरीके से लोकतंत्र के लिए खतरा मानते हैं. साथ ही, उन्होंने ट्रंप और अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की सराहना की और सत्ता में मौजूद वामपंथी राजनेताओं की आलोचना की.
मेलोनी ने वेंस का बचाव करते हुए कहा कि उनकी आलोचना केवल उस विचार के कारण की जा रही थी, जिसमें उन्होंने यूरोप के भीतर आने वाले खतरों की पहचान की थी. वेंस ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में कहा था कि यूरोप के लिए सबसे बड़ा खतरा अंदर से है, और मेलोनी ने इस बयान का समर्थन करते हुए इसे गहरी बात करार दिया. उनका कहना था कि इस तरह की बातें पहचान, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित हैं, और यह यूरोपीय अभिजात वर्ग के लिए असहज होती हैं.
वामपंथी आलोचना को नकारा
मेलोनी ने स्पष्ट किया कि उनके भाषण का उद्देश्य केवल लोकतंत्र के बारे में खुलकर बात करना था और रूढ़िवादी विचारधारा को स्वीकारने के लिए समाज को प्रेरित करना था. उनका मानना था कि वामपंथी नेता किसी भी खुले और ईमानदार चर्चा से बचते हैं और अपनी आलोचना को केवल असहजता के रूप में प्रस्तुत करते हैं.
सीपीएसी में मेलोनी की उपस्थिति विवादों के घेरे में आई, विशेष रूप से ट्रंप के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन द्वारा दिए गए भाषण के बाद, जिसमें नाजी शैली की सलामी देने का मामला सामने आया था. डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता एली श्लेन ने इसे नव-फासीवादी सभा करार दिया और मेलोनी से इससे अलग होने का आग्रह किया.
हालांकि, मेलोनी ने इस आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी रूढ़िवादी विचारधारा का समर्थन किया और वामपंथी आलोचना को नकारा. उन्होंने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य लोगों की सेवा करना है, न कि उन पर शासन करना.