रविवार रात दस्यु सुंदरी कुसुमा नाइन 45 साल बाद अपनी ससुराल आई तो कफन में लिपटी हुई। उनके अंतिम संस्कार को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। गांव में रातभर भारी पुलिस बल तैनात रहा और पुलिस अभिरक्षा में सोमवार सुबह दस्यु सुंदरी का अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। उसके अंतिम दर्शन के लिए कुरौली गांव में जिलेभर से समाज के लोग जुटे। ग्रामीणों के साथ-साथ उनके पुराने परिचित और संबंधी भी अंतिम विदाई देने पहुंचे। उनके निधन की खबर से गांव में सन्नाटा पसरा रहा, लेकिन माहौल शांतिपूर्ण बना रहा। सोमवार सुबह गांव में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई और सोमवार सुबह विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर दिया गया। पति ने मुखाग्नि दी। पति केदार उर्फ रूठे याज्ञिक के साथ दूसरी पत्नी के पुत्र और पुत्रियां तथा नंद आदि भी मौजूद रही।
छह माह पहले परिजनों को पुलिस ने दी थी तबीयत खराब होने की जानकारी
इटावा जेल में बंद कुसमा की तबीयत खराब होने पर उसे सैफई मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। इस पर उसने अपने परिजनों से मिलने की इच्छा जताई थी। इस पर सिरसाकलार थाने से रामजी के पास भी फोन आया था। लेकिन उन्होंने मिलने से मना कर दिया था। ज्यादा हालत खराब होने पर उसे लखनऊ भेज दिया गया था। कुसुमा नाइन की लखनऊ में शनिवार की रात इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
आठ साल विक्रम व सोलह साल फक्कड़ के साथ रही कुसमा
कुरौली गांव से अगुवा करके बीहड़ ले जाई गई कुसमा सबसे पहले माधव के माध्यम से विक्रम मल्लाह गिरोह से मिल गई। इसके बाद वह करीब आठ वर्ष तक इस गिरोह में रही। विक्रम की मौत हो जाने के बाद वह लालाराम के संपर्क में आई और कुछ दिन के बाद वह रामआसरे उर्फ फक्कड़ के संपर्क में आ गई और सोलह साल तक बीहड़ में राज करती रही। वह इटावा के साथ साथ कानपुर व अन्य जेलों में भी रही।