बांदा की रहने वाली शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दे दी गई। हालांकि उनके पिता ने बेटी को दुबई में बेचने के मामले में आगरा के नाई की मंडी के जूता कारोबारी उजैर सहित तीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। तब जूता कारोबारी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया था। कहा था कि युवती अपनी मर्जी से गई थी। इसमें उनका कोई लेना-देना नहीं है।
तोपखाना, नाई की मंडी निवासी उजैर खान की हींग की मंडी में जूते की दुकान है। बांदा के मटाैध की रहने वाली शहजादी खान से फेसबुक के माध्यम से संपर्क हुआ था। फांसी की जानकारी पर उजैर खान ने अमर उजाला से बात की। उनका कहना है कि वह चार साल पहले फेसबुक के माध्यम से शहजादी खान के संपर्क में आए थे। वह नौकरी की तलाश में थी। उजैर की बुआ ताजगंज क्षेत्र में रहती हैं। उन्होंने शहजादी को बुआ के घर भेज दिया।
उजैर ने बताया कि उनके फूफा फैज और बुआ नादिया दुबई में रहने लगे। शहजादी अपनी मर्जी से दुबई चली गईं थीं। इसमें परिवार की रजामंदी थी। फूफा के बेटे की मौत हो गई थी। इस मामले में ही वहां की अदालत ने शहजादी को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। साक्ष्यों के आधार पर सजा हुई है। इसमें सभी विधिक प्रक्रिया को अपनाया गया था।
युवती के परिवार वालों ने दबाव बनाने के लिए उन पर भी मुकदमा लिखा दिया था। इसकी जांच पुलिस कर रही है। वह सारे साक्ष्य पुलिस को दे चुके हैं। पूर्व में उन्होंने भी पुलिस आयुक्त से शिकायत की थी, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। शहजादी खान के पिता शब्बीर खान ने आरोप लगाया था कि बेटी को बेच दिया गया। उनके प्रार्थना पत्र पर कोर्ट के आदेश पर फैज, नादिया और उजैर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
15 फरवरी को हुई फांसी
बांदा की शहजादी खान (33) को चार महीने के बच्चे की हत्या के मामले में अबू धाबी में 15 फरवरी को फांसी दे दी गई। पिता की ओर से बेटी के लिए सलामती याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी। इसके बाद जस्टिस सचिन दत्ता ने इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया।