दिल्ली के मंत्री कपिल मिश्रा को कोर्ट से बड़ा झटका, रिवीजन पिटीशन खारिज

दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा की याचिका शुक्रवार को दिल्ली स्थितराउज एवेन्यू सेशंस कोर्ट ने खारिज कर दी. याचिका में मजिस्ट्रेट कोर्ट के चार्जशीट पर संज्ञान लेने और समन के आदेश को चुनौती दी गई थी. कपिल मिश्रा ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिवीजन पिटीशन दायर की थी. कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी.

2020 में आदर्श आचार संहिता के कथित उल्लंघन से यह मामला जुड़ा हुआ है. हाल में दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी है. कपिल मिश्रा इस सरकार में कानून मंत्री हैं. उन्हें ट्रायल कोर्ट के आदेश पर समन किया गया था. उस आदेश को उन्होंने चुनौती दी थी.

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कपिल मिश्रा को मॉडल टाउन से पार्टी का उम्मीदवार बनाया था. कपिल मिश्रा पिछले महीने ही दिल्ली विधानसभा चुनाव में करावल नगर विधानसभा सीट से निर्वाचित होकर विधायक बने हैं.

कपिल मिश्रा को कोर्ट से लगा झटका

कानून मंत्री कपिल मिश्रा को कोर्ट से यह झटका उस समय पर लगा है, जब साल 2020 में हुए दिल्ली दंगों के मामले में कपिल मिश्रा के खिलाफ लगातार केस दर्ज करने की मांग उठ रही है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने कपिल मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के अनुरोध वाली पिटीशन का विरोध कर रही है.

दिल्ली पुलिस ने बुधवार को फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित एक मामले में भाजपा नेता कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका का विरोध किया.

बता दें कि दंगों में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे. पुलिस ने यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास द्वारा दिसंबर 2024 में दायर याचिका के जवाब में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया की अदालत में लिखित दलीलें पेश कीं.

पुलिस ने FIR दायर करने वाली याचिका का किया है विरोध

आवेदक ने सांप्रदायिक हिंसा में कथित संलिप्तता के लिए करावल नगर विधायक कपिल मिश्रा, मुस्तफाबाद विधायक और डिप्टी स्पीकर मोहन सिंह बिष्ट, तत्कालीन डीसीपी (उत्तर पूर्व), दयालपुर पुलिस स्टेशन के तत्कालीन एसएचओ और पूर्व भाजपा विधायक जगदीश प्रधान सहित छह लोगों पर मामला दर्ज करने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 23 फरवरी, 2020 को उन्होंने कपिल मिश्रा और अन्य को कर्दमपुरी में एक सड़क को अवरुद्ध करते और रेहड़ी-पटरी वालों के ठेले नष्ट करते देखा था.

उन्होंने कहा कि तत्कालीन (उत्तर पूर्व) डीसीपी, कुछ अन्य अधिकारियों के साथ कपिल मिश्रा के साथ खड़े थे, जब उन्होंने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को क्षेत्र खाली करने की धमकी दी थी. इलियास ने यह भी कहा कि उन्होंने तत्कालीन दयालपुर एसएचओ और याचिका में नामित अन्य लोगों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मस्जिदों में तोड़फोड़ करते देखा था.

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