महाराष्ट्र में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) का प्रकोप लगातार बढ़ता रहा है. GBS के बढ़ते कहर ने सरकार की भी परेशानी बढ़ा दी है. मंगलवार (11 मार्च) को स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में 3 मार्च तक GBS के 224 मामले सामने आए हैं और इसकी वजह से 12 लोगों की मौत हुई है.
मंत्री ने सदन को बताया कि गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) की जांच से संकेत मिलता है कि लोगों में GBS का सबसे संभावित कारण कैम्पिलोबैक्टर की वजह से हुआ पिछला संक्रमण है. उन्होंने कहा कि इस बीमारी के अध्ययन के लिए बीते 2 जनवरी को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) के साथ ही राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे के विशेषज्ञों वाली केंद्रीय तकनीकी टीम को मौके पर भेजा गया था.
गुलियन बैरे सिंड्रोम के कारणों की जांच
जाधव ने बताया कि गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के ज्यादातर मामले पुणे के विशिष्ट समूहों से सामने आए हैं, जिसमें नांदेड़ में अतिरिक्त मामले शामिल हैं. उन्होंने कहा कि महामारी की जांच के लिए इन क्षेत्रों को शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि अध्ययन का मकसद इस महामारी के कारण और उसके स्रोत का पता करना था, जिसमें जल आपूर्ति प्रणालियों, जल स्रोतों और अन्य कारणों की गहन जांच की गई.
GBS की जांच में मिला ये संकेत
मंत्री ने कहा कि जांच में संकेत मिलता है कि लोगों में GBS का सबसे संभावित कारण कैम्पिलोबैक्टर की वजह से होने वाला पिछला संक्रमण है. इसके साथ ही उन्होंने सदन में ये भी बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार या GBS से मरने वाले या पीड़ित लोगों के रिश्तेदारों को केंद्रीय सहायता प्रदान नहीं की है.
महाराष्ट्र में GBS का पहला मामला 9 जनवरी को सामने आया था. जिसके बाद से लगातार इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं. सरकार ने अलर्ट जारी किया है साथ ही लोगों से एहतियात बरतने को कहा है. राज्य सरकार ने GBS के बढ़ते मामलों को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी है.