दिल्ली पुलिस ने सुभाष प्लेस थाना ने डॉलर गैंग के 4 सदस्यों को गिरफ्तार कर मामले का पर्दाफाश किया है. गिरफ्तार किए गए आरोपी बांग्लादेशी निकले है. ये सभी भारत में अवैध रूप से रह रहे थे और लालच देकर लोगों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे थे. आरोप बांग्लादेश के रहने वाले हैं, जो अपनी पहचान छिपाकर अवैध तरीके से दिल्ली में रह रहे थे.
पुलिस के मुताबिक, 13 फरवरी को शिकायतकर्ता को एक अनजान व्यक्ति ने दिल्ली के धौलाकुआं में रोका और 20 अमेरिकी डॉलर का एक नोट दिखाया और उसने बताया कि उसके पास इस तरह के 1,035 नोट हैं, जिन्हें वो भारतीय रुपए में बदलना चाहता है. बातचीत के दौरान दोनों ने फोन नंबर एक्सचेंज किए और 16 फरवरी को शकरपुर स्थित सम्राट सिनेमा के पास मिलने की योजना बनाई.
गिरोह के सदस्यों ने शिकायतकर्ता को 2 लाख रुपए में 1,000 डॉलर के नोट देने का वादा किया. लालच में आकर शिकायतकर्ता अपनी पत्नी के साथ पहुंचा और बदले में नकदी दे दी. लेकिन जब बैग खोला तो उसमें डॉलर की जगह अखबार के टुकड़े, रुमाल, साबुन और डिटर्जेंट निकले. जिसके बाद पीड़ित ने अपने साथ हुई इस ठगी की वारदात की जानकारी पुलिस को दी. पीड़ित की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई और जांच शुरू हुई.
पुलिस ने ऐसे किया अरेस्ट
थाना सुभाष प्लेस पुलिस की टीम ने करीब 190 सीसीटीवी फुटेज खंगाले और तकनीकी जांच की मदद से गुरुग्राम के एक गांव में छापेमारी कर गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया. जिनकी पहचान पश्चिम बंगाल के सलीम खान, अली हसन, कलाम, ढोलू शेख के नाम से हुई.
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए डॉलर गैंग के चार आरोपियों को धर दबोचा गया. जिनकी पहचान सलीम खान, अली हसन और कलाम के रूप में हुई. जिन्होंने अपने आप को पश्चिम बंगाल का बताया जबकि चौथे शख्स की पहचान ढोलू शेख के रूप में हुई जिसने खुद आपको दिल्ली के जहांगीर पुरी का रहने वाला बताया. पुलिस ने जांच की तो पता चला कि ये सभी बांग्लादेश से आए प्रवासी हैं.
15 सालों से अवैध तरीके से रह रहे
भारत में उनकी पहचान का एकमात्र तरीका फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तैयार किया गया आधार कार्ड है. आरोपियों के निशानों की पुष्टि करने के लिए एक टीम तुरंत पश्चिम बंगाल भेजी गई. स्थानीय जांच से पता चला कि आरोपियों में से एक ढोलू शेख पिछले 14-15 सालों से बताए गए पते पर रह रहा था और बांग्लादेश से आया प्रवासी था. इसके अलावा, उसने आधार कार्ड भी बनवा लिया था.
जांच के बाद सामने आया सच
पुलिस के मुताबिक, कोलकाता नगर निगम के वार्ड नंबर 36 के पार्षद सचिन कुमार सिंह से भी एक रिपोर्ट प्राप्त की गई. जिन्होंने जानकारी दी कि आरोपियों के नामों का वार्ड-36 में कोई पता नहीं है, और न ही उनका अस्तित्व है. आरोपियों द्वारा बताए गए पते का मतदाता सूची और फिजिकल जांच के अनुसार, कोई रिकॉर्ड नहीं मिला. इसके अलावा, एक टीम पहले से ही पश्चिम बंगाल में है और आगे की जांच कर रही है.