धूल होली के बाद भी बृज में होली का खुमारी उतरने का नाम नहीं ले रही है. आज शनिवार को इसी खुमारी के क्रम में बृज के राजा कहे जाने वाले बलदाऊ जी की नगरी बलदेव में हुरंगे का आयोजन किया गया. बलदेव के मुख्य दाऊजी मंदिर प्रांगण में खेले गए इस हुरंगे में भाभी देवर के कपड़े फाड़ कर उसका कोड़ा बनाकर देवरो पर बरसाती हैं. इस बीच प्यार भरी तीखी नोक-झोंक भी होती है. इस हुरंगे को कपड़ा फाड़ होली भी कहा जाता है.
बृज में होने वाले 40 दिन के होली उत्सव के दौरान आज शनिवार को बृज के राजा बलदाऊ जी की नगरी बलदेव में हुरंगे का आयोजन किया गया. बृज में वैसे तो इस पूरे होली उत्सव के दौरान राधा-कृष्ण की होली की ही धूम रहती है, लेकिन बलदेव में आयोजित किये जाने वाले इस हुरंगे की खास बात ये है कि यहां बलदाऊ जी की नगरी होने की वजह से देवर-भाभी की होली खेली जाती है.
भाभियां फाड़ती देवरों के कपड़े
मंदिर प्रांगण में खेली जाने वाली इस होली का यहां व्यापक रूप देखने को मिलता है, जिसे हुरंगा कहा जाता है. इस होली की परंपरा यह है कि इसमें महिला और पुरुष ही शामिल होते है. सबसे पहले मंदिर प्रांगण में इकठ्ठा हुई हुरियारिन भाभी और हुरियारे देवर बलदाऊ जी के मुख्य भवन की परिक्रमा करते है और जैसे ही मंदिर के मुख्य भवन के अंदर से ऊंची केसरिया झंडी बाहर प्रांगण में आती है, तो यहां मौजूद हुरियारिन अपने हुरियारे देवरों के कपड़े फाड़ना शुरू कर देती है.
फटे हुए कपड़ों के बनाया जाता कोड़ा
इसके बाद इन कपड़ों को टेसू के फूलों से बने रंगों में भिगोया जाता है और फिर भाभी इसे कोड़ा बनाकर देवर को मारती है. अपना बचाव करने के लिए देवर भी बाल्टी में रंग भरकर भाभी के ऊपर डालते है. हुरंगे के दौरान हुरियारे इतने उत्साहित हो जाते है कि वह कभी अपने साथियों को कंधे पर बिठा लेते है तो कभी उन्हें गिरा देते है. इस दौरान लगातार कपड़े के बनाए हुए कोड़े से हुरियारिन इन ग्वालों पर वार करती रहती है.
भाभी चखाती देवरों को मजा
इसे देखकर यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक भाव विभोर हुए बिना नहीं रह पाते. बरसाना और नंदगांव की ही तरह यहां के हुरंगे में भी हुरियारिन हुरियारों पर हावी रहती है, लेकिन यहां लाठियों से नहीं बल्कि हुरियारों के कपड़े फाड़कर बनाये गए कोड़ों से ही भाभी अपने देवरों को इस होली का मजा चखाती है.