पाकिस्तान में हालात बेकाबू, हमले के बाद सेना छोड़कर भागने लगे सैनिक

पाकिस्तान के सामने अब एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. मुल्क में बिगड़ते हालात और बढ़ती असुरक्षा के बीच उसके सैनिक सेना से भाग रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते 2500 सैनिकों ने सेना छोड़ दी. सूत्रों ने बताया कि इसके पीछे की वजह सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति, लगातार सैन्य नुकसान और पाकिस्तान में मौजूदा बिगड़ते हालात शामिल हैं.

सूत्रों के मुताबिक, जो सैनिक पाकिस्तानी सेना छोड़कर भाग रहे हैं, उनमें से ज्यादातर सैनिक सऊदी अरब, कतर, कुवैत और यूएई में मजदूर करने गए हैं. उन्होंने देश की मौजूदा हालातों को देखकर यही करना उचित समझा है. उन्होंने सेना में अपनी जान को जोखिम में डालने के बजाय आर्थिक अस्तित्व को चुना है क्योंकि हाल के दिनों में पाक सेना में अस्थिरता काफी बढ़ गई है.

यह सामूहिक पलायन पाकिस्तानी सेना की आंतरिक शक्ति और मनोबल के बारे में गंभीर चिंता पैदा करता है, क्योंकि सेना देश में जारी हिंसा और असुरक्षा के बीच लड़ाई को जारी नहीं रखना चाहते हैं. सेना छोड़ने का मामला वाकई एक गंभीर संकट का संकेत है क्योंकि यह स्थिति केवल सुरक्षा के मुद्दे से नहीं, बल्कि देश के आंतरिक और बाहरी तनावों का भी परिणाम हो सकती है.

पाकिस्तान की सुरक्षा लिए बड़ा जोखिम

सैनिकों की संख्या में गिरावट न केवल सेना की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि मुल्क के स्थिरता पर भी सवाल उठाता है. सुरक्षा की हालत बिगड़ने के कारण सैनिकों का मनोबल गिरता है, जिससे कारण वे सेना छोड़ने का फैसला करते हैं. यह स्थिति पाकिस्तान के लिए खतरे का कारण बन सकती है, क्योंकि एक कमजोर सैन्य बल देश की सुरक्षा लिए बड़ा जोखिम हो सकता है. शहबाज सरकार और पाक सेना को इस समस्या का जल्द कोई न कोई समाधान ढूंढना होगा ताकि सैनिकों का मनोबल बढ़ सके और सुरक्षा की स्थिति को बेहतर किया जा सके.

बलूचिस्तान ने बढ़ा दी पाकिस्तान की चिंता

दरअसल, बलूचिस्तान ने इन दिनों पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है. लगातार उसके सैनिकों को निशाना बना रही है. 11 मार्च के बाद से उसके कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है. यह घटनाक्रम पाकिस्तान के लिए आंतरिक असुरक्षा और संघर्ष की स्थिति को और बढ़ा सकता है. बलूच विद्रोही पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लगातार हमले कर रहे हैं. अगर स्थिति और बिगड़ती है तो पाकिस्तान को न केवल आंतरिक संघर्षों का सामना करना होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उसके संबंधों पर इसका असर हो सकता है.

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