ध्यान भटकाने की कोशिश…कर्नाटक आरक्षण विवाद में जयराम ने बीजेपी को घेरा

कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुसलमानों को 4 फीसदी आरक्षण पर सियासी घमासान मचा हुआ है. इस मामले में बीजेपी की ओर से दावा किया गया है कि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने संविधान बदलने की भी बात कही है. इस पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि शिवकुमार ने इसे खारिज किया है. वो विधानसभा में थे ही नहीं. बीजेपी ने कर्नाटक सरकार की घोषणा को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है. ये बीजेपी की ध्यान भटकाने वाली रणनीति का हिस्सा है. सदन में मेरे अनुरोध पर अध्यक्ष ने सहमति जताई थी कि जज यशवंत वर्मा के आचरण पर बहस करनी चाहिए लेकिन अचानक एजेंडा पटरी से उतर गया. बीजेपी इस (कर्नाटक) मुद्दे को लेकर आई.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, सदन के नेता और संसदीय कार्य मंत्री दोनों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश करना पड़ रहा है. ऐसा शायद ही कभी हुआ हो लेकिन उन्होंने सदन को गुमराह किया और सदन के सामने गलत जानकारी पेश की. संसदीय मंत्री और सदन के नेता ने सदन से झूठ बोला. उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को बदनाम किया और यह प्रचार करने की कोशिश की कि कांग्रेस धर्म आधारित आरक्षण के पक्ष में है और हम संविधान बदलना चाहते हैं.

भाजपा ही संविधान बदलना चाहती है

जयराम रमेश ने कहा, यह भाजपा ही है जो संविधान बदलना चाहती है. यह भाजपा ही है जिसने धर्म को नागरिकता का आधार बना दिया है. यह भाजपा ही है जो संविधान पर हमला कर रही है. ये पार्टी अलग-अलग तरीकों से संविधान पर हमला कर रही है. भारत के संविधान को आरएसएस ने कभी स्वीकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि किरेन रिजिजू और जेपी नड्डा ने आज राज्य सभा में सही बात नहीं की.

भाजपा ने कांग्रेस को बदनाम किया

कांग्रेस नेता ने कहा, उन्होंने (भाजपा) कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं को बदनाम किया है. ये निराधार है कि कांग्रेस धर्म के आधार पर आरक्षण देने के पक्ष में है. उन्होंने तथ्यों के खिलाफ बोला था. भाजपा ने धर्म को नागरिकता का आधार बनाया है. ओबीसी आरक्षण जिसमें अल्पसंख्यक भी शामिल है, वो 1994 में लागू हुआ था. ये मुद्दा 1 साल पहले बना था. 1994 में जो आरक्षण कर्नाटक में दिया गया था, वो धर्म के आधार पर नहीं बल्कि शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया गया था.

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