सरकार ने नहीं बनवाया पुल, लोगों ने लगाई खून-पसीने की कमाई, होगी जांच

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में मगई नदी पर चंदा इकट्ठा कर पुल बनाया जा रहा है. सेना के रिटायर्ड जवान की पहल से बन रहा यह पुल जिला प्रशासन के लिए चिंता का सबब बन गया है. इसकी गुणवत्ता और मानकों पर सवाल उठ रहे हैं. सरकार ने पुल निर्माण का प्रस्ताव प्राप्त करने और आगे की कार्रवाई करने का वादा किया है. जबकि, ग्रामीणों ने स्वयं ही पुल का आधा निर्माण पूरा कर लिया है. साल2024 से बनने वाले पुल में अब तक ग्रामीणों के चंदे से दो पिलर के साथ ही दोनों तरफ के अप्रोच और आधा स्लैब का निर्माण किया जा चुका है.

गाजीपुर जिले में बलिया लोकसभा और मोहम्मदाबाद विधानसभा में आने वाला कयामपुर छावनी सहित करीब 15 गांव मगई नदी की वजह से प्रभावित रहते हैं. इस गांव में जाने के लिए एकमात्र विकल्प नदी को पार करना होता है, लेकिन इस नदी पर आजादी से लेकर अब तक कितनी भी सरकार आई और गई किसी ने यहां पुल नहीं बनवाया. यहां तक कि ग्रामीणों ने इसके लिए जनप्रतिनिधियों से खूब गुहार लगाई.

सेना के रिटायर्ड जवान ने की पहल

कयामपुर छावनी सहित 15 गांव के लोग अपने गांव में आने-जाने के लिए नदी पर बांस का पुल बनाकर आते जाते रहे हैं. गांव के लोग बारिश के दिनों में नाव का सहारा लेते हैं. ग्रामीण लगातार पुल की मांग करते-करते थक गए. तब गांव के ही रहने वाले सेना के रिटायर्ड जवान ने पुल बनाने का बीड़ा उठाया. उन्होंने सबसे पहले 10 लाख रुपये का चंदा अपने रिटायरमेंट फंड से दिया. उसके बाद ग्रामीणों के द्वारा चंदा दिए जाने का कार्यक्रम शुरू हुआ. 25 फरवरी 2024 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने इस पुल के लिए भूमि पूजन और शिलान्यास करने का काम किया. फिर पुल बनाने का काम शुरू हो गया.

डीएम ने की पुल के जांच की बात

पिछले दिनों ग्रामीणों के द्वारा दोनों पिलर पड़ जाने के बाद उसके आधे हिस्से पर स्लैब डालने का काम शुरू हुआ. इसकी जानकारी मीडिया के जरिए शासन प्रशासन तक पहुंची. इसके बाद जिला अधिकारी आर्यका अखौरी ने पुल की जांच कराने की बात कही. उन्होंने कहाकि इस पुल के बारे में उन्हें मीडिया के माध्यम से जानकारी हुई. वह जांच कराएंगी कि पुल भारी वाहनों के चलने के लिए कितनी उपयुक्त है. यह जांच पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के द्वारा किया जाएगा.

हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति ने किया था शिलान्यास

पिछले साल 25 फरवरी 2024 को जब हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति के द्वारा पुल के लिए भूमि पूजन और शिलान्यास किया गया, तब वह प्रोटोकॉल के जरिए गाजीपुर में आए थे. उक्त जगह पर जिला प्रशासन के तमाम अधिकारी भी पहुंचे थे. बावजूद इसके जिला अधिकारी मीडिया में खबर छपने के बाद जानकारी होने की बात कर रही हैं.

एक दिन पूर्व योगी सरकार के 8 साल पूरा होने पर गाजीपुर में प्रभारी मंत्री रविंद्र जायसवाल पहुंचे. उनसे इस पुल को लेकर बात की गई. सवाल किया गया कि सरकार विकास की बात कर रही है, लेकिन गाजीपुर का एक गांव में चंदा से ग्रामीण नदी पर पुल बनाने को मजबूर है. इसपर प्रभारी मंत्री ने बताया कि इस पुल के निर्माण का प्रस्ताव शासन को अब भेजा गया है. प्रस्ताव पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा.

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