धार्मिक संपत्तियों में सरकारी दखल क्यों? वक्फ बिल पर जितेंद्र आव्हाड का सवाल

सरकार ने साफ कर दिया है कि वो कल यानी बुधवार को दोपहर 12 बजे लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करेगी. इस बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किया गया है. दूसरी तरफ सरकार के इस ऐलान के बाद से विपक्षी दल लामबंद हो गए हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार इस मुद्दे को लेकर जल्दबाजी कर रही है और बिल एक विशेष समुदाय पर थोपा जा रहा है. इस बीच इस बिल पर एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड का बड़ा बयान सामने आया है और उन्होंने सवाल भी खड़े किए हैं.

जितेंद्र आव्हाड ने बयान देते हुए कहा कि मुझे ऐसा लगता है कि वक्फ बोर्ड को जबरदस्ती लागू किया जा रहा है. यह जमीन किसी की निजी संपत्ति नहीं होती, बल्कि यह धार्मिक उद्देश्य के लिए समर्पित जमीन होती है. मुस्लिम समाज अपने धर्म की रक्षा और धार्मिक कार्यों के लिए मस्जिद, मदरसे, कॉलेज, तालीम केंद्र, कब्रिस्तान आदि के निर्माण के लिए वक्फ जमीन का उपयोग करता है.

फिर सरकार इसमें हस्तक्षेप क्यों कर रही है?

उन्होंने आगे कहा कि हमारे पूर्वज, जो अमीर लोग हुआ करते थे, वे दान के रूप में अपनी जमीन वक्फ दिया करते थे. इसे ही वक्फ कहा जाता है, और यह पूरी तरह से धार्मिक संपत्ति होती है. फिर सरकार इसमें हस्तक्षेप क्यों कर रही है? भारत में कई ऐसी जगहें हैं, जिन्हें कोई छू भी नहीं सकता, लेकिन पूंजीपतियों की उन पर नजर है.

दूसरों के धर्म में दखल देने की क्या जरूरत है?

उन्होंने आगे कहा कि यह शर्मनाक है कि कुछ मुस्लिम प्रतिनिधियों ने खुद ही वक्फ की जमीन बेचने में मदद की. जबकि यह जमीन गरीबों, समुदाय और धर्म के लोगों के हित में उपयोग होनी चाहिए थी. जो भी व्यक्ति भारत से प्रेम करता है और संविधान का सम्मान करता है, उसे इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए. दूसरों के धर्म में दखल देने की क्या जरूरत है? उन्हें उनके तरीके से जीने दो. यह क्या नया चलन शुरू हो गया है कि ‘यह मत खाओ, वह मत करो’ क्या भारत तुम्हारे बाप की जागीर है?

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