वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर उलेमा का विरोध, सेक्युलर पार्टियों से ठोस कदम उठाने की मांग

वक्फ बिल संसद में पेश होने से पहले मुंबई में उलेमा और इमामों ने आपात बैठक बुलाई. इसमें अलहाज मोहम्मद सईद नूरी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार समेत अन्य सेक्युलर पार्टियां बिल के खिलाफ खड़ी हों, वरना मुस्लिम सबक सिखाएंगे. मौलाना एजाज़ अहमद कश्मीरी ने कहा कि वक्फ बिल जहां संविधान के खिलाफ है, वहीं यह मुसलमानों की संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने की साजिश है. वक्फ बिल को लेकर देश में जिस तरह की उथल-पुथल मची हुई है, वह बेहद चिंताजनक है. खासतौर पर भारत के मुसलमानों के लिए. यह एक ‘करो या मरो’ की स्थिति है क्योंकि इस बिल के जरिए मुस्लिम संपत्तियों को जानबूझकर लूटने की कोशिश की जा रही है.

बिल के खिलाफ मुंबई के हांडी वाली मस्जिद में रजा अकादमी ने तत्काल प्रभाव से उलेमा, इमाम और मदरसा शिक्षकों की आपात बैठक बुलाई और बिल के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की. बैठक को संबोधित करते हुए संगठन के प्रमुख अलहाज मोहम्मद सईद नूरी ने कहा कि वक्फ बिल सीधे तौर पर मुसलमानों की संपत्तियों पर कब्जा करने की साजिश है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.

धार्मिक स्वतंत्रता पर भी हमला

उन्होंने कहा कि यह बिल न केवल संविधान विरोधी है, बल्कि मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता पर भी हमला है. अन्य धर्मों के लोगों को भी यह याद रखना चाहिए कि आज यह हमला मुस्लिम वक़्फ़ संपत्तियों पर हो रहा है, कल यह पारसी समुदाय, सिखों, बौद्धों और अन्य धार्मिक स्थलों तक भी पहुंचेगा. अगर इस कानून को रोका नहीं गया तो कोई गुरुद्वारा, पारसी अग्नि मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल सुरक्षित नहीं रहेगा. इसलिए सभी धर्मों के लोगों को इस तानाशाही सरकार के खिलाफ एकजुट होना होगा.

अभी भी उनके पास समय है

सईद नूरी ने सेक्युलर पार्टियों के नेताओं चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार, जयंत चौधरी, चिराग पासवान समेत एनडीए में शामिल अन्य नेताओं को चेतावनी देते हुए कहा कि अभी भी उनके पास समय है कि 2 अप्रैल को संसद में इस बिल के खिलाफ खुलकर विरोध करें. वरना अल्पसंख्यकों का उन पर जो भरोसा था, वह खत्म हो जाएगा. अगर विरोध नहीं करते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि उन्होंने अपनी पार्टियों को मोदी के हाथों बेच दिया है और उनकी राजनीतिक मृत्यु निकट है.

यह हमारे पूर्वजों की संपत्ति है

हांडी वाली मस्जिद के इमाम और युवा इस्लामी विद्वान मौलाना एजाज़ अहमद कश्मीरी ने कहा कि वक्फ की जमीनें किसी के बाप की जागीर नहीं हैं. यह हमारे पूर्वजों की संपत्ति है और इसकी रक्षा करना हमारा धार्मिक कर्तव्य है. इसके लिए हम हर प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार हैं. मोदी सरकार एक तरफ तो ईद पर ‘मोदी के नाम की राशन किट’ बांट रही है. दूसरी तरफ मुसलमानों की संपत्तियों पर जबरन कब्जा करने के लिए कानून बना रही है. इससे साफ जाहिर है कि मोदी सरकार अंग्रेजों की तरह नीतियां अपना रही है. मौलाना मोहम्मद अब्बास रिज़वी ने भी सेक्युलर पार्टियों के नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि अगर वो संविधान को बचाना चाहते हैं तो मोदी सरकार के खिलाफ खड़ा होना होगा.

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