वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देश की सियासत गरमा गई है. बिल पेश किए जाने के ऐलान के बाद मंगलवार की शाम को इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में सभी दलों ने आगामी विधेयक पर एकजुट होकर हिस्सा लेने का निर्णय लिया है. बैठक में शिवसेना-उद्धव गुट, आम आदमी पार्टी (AAP), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और अन्य गठबंधन दलों ने सामूहिक रणनीति पर चर्चा की और कल की कार्यवाही में एकजुट होने की योजना बनाई.
बैठक के बाद, गठबंधन के नेताओं ने घोषणा की कि वे किसी भी विवादास्पद विधेयक का विरोध तथ्यों और तर्कों के आधार पर करेंगे. इस विरोध में वे वोटिंग में हिस्सा लेंगे और सरकार की नीतियों का सुनियोजित तरीके से जवाब देंगे. गठबंधन के नेताओं ने यह भी कहा कि किसी भी विधायिका मुद्दे पर विपक्षी दल एकजुट होकर और मिलकर काम करेंगे और सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए संसदीय लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखेंगे.
नेताओं ने बीजेपी को लेकर जताई आशंका
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में कुछ दलों ने यह आशंका जताई कि लोकसभा की कार्यवाही के दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) चर्चा के दौरान हो हल्ला कर सकती है, जो संसद के कामकाज में बाधा डालने का कारण बन सकता है. हालांकि, गठबंधन के नेताओं ने स्पष्ट किया कि यदि ऐसा हुआ, तो वे मिलकर इस स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. उनका मानना है कि विपक्षी दलों की एकजुटता और संयम से इस तरह की स्थितियों को आसानी से संभाला जा सकता है.
ये नेता हुए शामिल
प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना-उद्धव गुट), अरविंद सावंत (शिवसेना-उद्धव गुट), और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने भी इस बैठक में भाग लिया और सभी दलों ने यह सुनिश्चित किया कि किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर साझा रणनीति अपनाई जाएगी.
सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने इंडिया गठबंधन की बैठक में कहा कि वक्फ संशोधन बिल संविधान विरुद्ध है, मैं आप सभी लोगों की राय से सहमत हूं. हम चर्चा के दौरान एकजुट होकर अपना पक्ष रखकर पुरजोर तरीके से सरकार की खामियां उजागर करेंगे और वोटिंग में भी विरोध में मत देंगे.
सदन में सियासी हलचल देखने को मिल सकती है
इंडिया गठबंधन के इस प्रयास से यह स्पष्ट हो गया है कि विपक्षी दल सामूहिक रूप से सरकार के खिलाफ अपने दृष्टिकोण और विरोध को पेश करेंगे, जिससे सदन में सियासी हलचल देखने को मिल सकती है. इस बैठक ने यह भी दर्शाया कि इंडिया गठबंधन अपने साझा लक्ष्यों और विचारों के लिए एकजुट है और संसद में होने वाली चर्चाओं और मतदान में इसका असर भी देखने को मिल सकता है.