उत्तर प्रदेश में एक बार फिर पुरानी पेंशन की मांग तेज हो गई है. बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के साथ फार्मासिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, बिजली विभाग के कर्मचारियों के अलावा अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन किया. इन लोगों ने पुरानी पेंशन को लेकर की जा रही मांग तेज करते हुए नई पेंशन का विरोध किया. लखनऊ के साथ-साथ बाराबंकी, कानपुर, हरदोई, बरेली, अलीगढ़, अमेठी, प्रतापगढ़, रामपुर, सोनभद्र, प्रयागराज, गोंडा, सुल्तानपुर, देवरिया और आजमगढ़ सहित प्रदेश भर में शिक्षकों ने मंगलवार को काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया.
अटेवा (All Teachers and Employees Welfare Association – ATEWA) के बैनर तले हुए इस विरोध प्रदर्शन में जिले के शिक्षक, अधिकारी, फार्मासिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, बिजली विभाग के कर्मचारी और अन्य सरकारी विभागों के कर्मी शामिल हुए. शिक्षकों का यह कहना था कि आंदोलन पुरानी पेंशन को लेकर शुरू किया गया था. सरकार किसी भी सूरत में उनकी मांग पूरी नहीं कर रही है. ऐसे में अब आंदोलन के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है. UPS जैसे कई मुद्दे ध्यान भटकने के लिए हैं, लेकिन शिक्षक आज भी पुरानी पेंशन की मांग पर ही अडिग हैं.
पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग
प्रदेश के शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली और सरकारी संस्थाओं के निजीकरण की समाप्ति की मांग करते हुए अटेवा-पेंशन बचाओ मंच ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा. देश के शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली और सरकारी संस्थाओं के निजीकरण की समाप्ति की मांग कर रहे हैं. अटेवा-पेंशन बचाओ मंच ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन कलेक्ट्रेट में सौंपा. संगठन ने नई पेंशन योजना (एनपीएस) और यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को समाप्त करने की मांग की है. उनका कहना है कि ये योजनाएं कर्मचारियों के भविष्य को अंधकारमय बना रही हैं. इससे करोड़ों शिक्षक, कर्मचारी और अर्धसैनिक बलों में नाराजगी बढ़ रही है.‘देशव्यापी काला दिवस’ मनाया जाएगा
अटेवा का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनहित में बड़े फैसले ले सकते हैं. शिक्षक-कर्मचारी समुदाय उनसे पुरानी पेंशन बहाली की उम्मीद कर रहा है. संगठन ने चेतावनी दी है कि सरकार की उपेक्षा के विरोध में देशव्यापी काला दिवस मनाया जाएगा.
1 मई 2025 को मजदूर दिवस पर जंतर-मंतर पर बड़ा प्रदर्शन होगा. संगठन का कहना है कि देश की सुरक्षा में लगे अर्धसैनिक बल भी इन योजनाओं से प्रभावित हैं. साथ ही सरकारी संस्थाओं के निजीकरण पर आपत्ति जताते हुए कहा कि देश की संपत्ति पर जनता का अधिकार होना चाहिए.