अयोध्या में भगवान राम के जन्मोत्सव की तैयारियां पूरे उल्लास के साथ चल रही हैं। रविवार को राम नवमी का पर्व खास धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार भी निर्माणाधीन राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला को सूर्य की किरणों से तिलक किया जाएगा। यह दिव्य आयोजन लगातार दूसरे वर्ष हो रहा है।
शनिवार को सूर्य तिलक की प्रक्रिया का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इसमें आईआईटी रुड़की, चेन्नई समेत देश के कई तकनीकी संस्थानों के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भाग लिया। यह ट्रायल दोपहर ठीक 12 बजे शुरू हुआ और लगभग 90 सेकंड तक चला। इस दौरान सूर्यदेव की किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ीं, जिसे ‘सूर्य तिलक’ कहा जाता है।
यह अनूठा आयोजन विज्ञान और श्रद्धा का सुंदर संगम है, जहां तकनीक की मदद से श्रद्धालुओं को दिव्यता का अनुभव कराया जा रहा है।
मंदिर प्रबंधन के मुताबिक यह प्रक्रिया करीब 8 मिनट तक चलती रही. इसके लिए गर्भगृह में 3 मिनट तक पर्दा लगा रहा. इस अवसर पर गर्भगृह में दो मोटे पर्दे लगाए गए थे. इसके बाद IIT रुड़की, IIT चेन्नई के वैज्ञानिकों के अलावा देश के विख्यात संस्थानों के वैज्ञानिकों ने ट्रॉयल शुरू किया. इससे पहले इन वैज्ञानिकों ने शुक्रवार की मध्य रात में भी लेजर किरणों से इसी तरह का ट्रायल किया था. इसमें लाल रंग लेजर लाइट डाली गई. यह लाइट रामलला के मस्क पर पड़ी तो इसकी शोभा देखने लायक थी.
अगले 20 साल तक हर रामनवमी होगा आयोजन
अभी हाल ही में श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने इस संबंध में पूरी जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था कि अब अगले 20 साल तक हर रामनवमी में सूर्यदेव रामलला का अपनी किरण रश्मियों से खुद तिलक करेंगे. इसके लिए जरूरी सिस्टम को मंदिर में स्थाई तौर पर लगाया जा रहा है. बता दें कि त्रेता युग में भगवान नारायण ने राम रूम में भगवान सूर्य के वंश में अवतार लिया था.