‘अमेरिका के राष्ट्रपति ने स्टॉक मार्केट की धज्जियां उड़ा दी’, टैरिफ पर बोले राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार के बेगूसराय में ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने युवाओं से संवाद किया और रोजगार, महंगाई व शिक्षा से जुड़ी समस्याओं को लेकर जागरूकता फैलाने की कोशिश की।

राहुल ने बताया कि उन्होंने हाल ही में संदीप दीक्षित के पॉडकास्ट में हिस्सा लिया था। बातचीत के दौरान उनसे पूछा गया कि उनके परदादा पंडित नेहरू को वे किस रूप में देखते हैं—प्रधानमंत्री, नेता या स्वतंत्रता सेनानी?

राहुल गांधी ने जवाब में कहा कि जब उन्होंने इस पर गंभीरता से सोचा, तो उन्हें महसूस हुआ कि नेहरू और महात्मा गांधी दोनों की सोच का आधार ‘सच्चाई’ था। उन्होंने इस विचारधारा को अंबेडकर, सावित्रीबाई फुले, बुद्ध, गुरु नानक, कबीर और नारायण गुरु के विचारों से भी जोड़ा और कहा कि इन सभी ने न्याय और समानता की राह अपनाई।

संविधान से जुड़ी ऐतिहासिक सोच

राहुल ने कहा कि भारतीय संविधान कोई नया विचार नहीं है, बल्कि यह हजारों सालों से चली आ रही न्याय और समानता की परंपरा का विस्तार है। उन्होंने कहा कि इसमें अंबेडकर, फुले और नेहरू की सोच की झलक मिलती है, लेकिन सावरकर की विचारधारा को इसमें जगह नहीं मिलती क्योंकि वो “सच्चाई के रास्ते पर नहीं चले।”

सिस्टम में असमानता के उदाहरण

राहुल गांधी ने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की स्टॉक मार्केट में करोड़ों का फायदा तो होता है, लेकिन आम लोगों तक उसका लाभ नहीं पहुंचता। यही हाल भारत का भी है। उन्होंने कहा कि टैलेंट होने के बावजूद OBC और EBC वर्गों को आगे बढ़ने से सिस्टम रोक देता है। बैंक लोन नहीं मिलता, सरकारी नियमों की दीवारें खड़ी हो जाती हैं।

उन्होंने एक ऑर्थोपेडिक सर्जन और एक IIT प्रोफेसर का उदाहरण देते हुए बताया कि यदि ये लोग पिछड़े वर्ग से आते हैं तो उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है—जैसे हॉस्पिटल खोलने में अड़चन, सरकारी समर्थन का अभाव आदि।

तेलंगाना का जातिगत आंकड़ा और बैंकिंग सिस्टम पर सवाल

राहुल गांधी ने बताया कि तेलंगाना में कराई गई जातिगत जनगणना से सामने आया कि बैंक लोन पाने वालों में EBC, OBC और दलित समुदायों की हिस्सेदारी बेहद कम है। यहां तक कि बैंकिंग सेक्टर के शीर्ष पदों पर भी इन वर्गों का प्रतिनिधित्व न के बराबर है।

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