शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों में डर का माहौल

सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 2,226 अंकों की गिरावट के साथ 73,137 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 742 अंक टूटकर 22,161 के स्तर पर आ गया। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के बाजारों में बिकवाली का माहौल रहा, जिससे ग्लोबल इन्वेस्टर्स के बीच घबराहट का माहौल बन गया है।

इस गिरावट की वजह अमेरिकी मंदी की आशंका और वैश्विक स्तर पर इसके फैलने की चिंता है। इतिहास पर नजर डालें तो बाजार ने इससे पहले भी संकट के समय इसी तरह प्रतिक्रिया दी है, जैसे 90 के दशक का डॉटकॉम क्रैश, 2008 की वित्तीय मंदी और 2020 की कोविड महामारी के दौरान हुआ था।

बाजार की बड़ी गिरावट और रिकवरी के उदाहरण

🔹 2004 – चुनावी नतीजों से हिला बाजार, 6 महीने में रिकवरी:
NDA की हार के बाद निफ्टी में दो दिनों में 20% से ज्यादा की गिरावट आई थी, लेकिन 6 महीनों में 33% की तेजी के साथ यह वापस 1,760 के स्तर पर आ गया।

🔹 2006 – इमर्जिंग मार्केट्स का संकट:
मई-जून के बीच निफ्टी 25% लुढ़का, लेकिन 6 महीनों में 3,962 पर पहुंचकर पूरी तरह रिकवर हो गया।

🔹 2008 – वैश्विक वित्तीय संकट:
जनवरी 2008 में निफ्टी अपने उच्चतम स्तर 6,300 से गिरकर अक्टूबर में 2,252 तक आ गया। हालांकि, अगले 6 महीनों में इसकी आधी गिरावट रिकवर हो गई। पूरी रिकवरी में करीब 20-22 महीने लगे।

🔹 2020 – कोविड महामारी का झटका:
मार्च में लॉकडाउन के बाद निफ्टी 11,900 से गिरकर 7,550 पर आ गया था, लेकिन अगले 6 महीनों में वापसी करते हुए फिर से 11,900 के करीब पहुंच गया।

निष्कर्ष:
इतिहास बताता है कि बाजार में बड़ी गिरावट के बाद भी रिकवरी संभव है, लेकिन इसके लिए धैर्य जरूरी है। मौजूदा हालात को देखते हुए निवेशकों को सोच-समझकर फैसले लेने की जरूरत है।

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