रिजर्व बैंक ने सोमवार को दो महीने के अंतराल पर होने वाली मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू की। महंगाई के मार्चे पर नरमी को देखते हुए एमपीसी से ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से जवाबी टैरिफ लगाए जाने के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने गंभीर चुनौतियां पैदा हो गई हैं। ताजा वैश्विक हालात के बीच एमपीसी की ओर से वृद्धि को प्रोत्साहित करने वाला निर्णय भी लिए जाने की जरूरत है।
गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय का एलान बुधवार को होगा। फरवरी में एमपीसी ने रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था। मई 2020 के बाद यह पहली कटौती थी और ढाई साल बाद पहली बार इसमें बदलाव किया गया था। जानकारों का मानना है कि आरबीआई की दर निर्धारण समिति इस सप्ताह 25 आधार अंकों की एक और कटौती करने का फैसला ले सकती है।
एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापार से संबंधित टैरिफ बाधाओं, मुद्रा बाजार में तेज उतार-चढ़ाव और नरम वैश्विक पूंजी प्रवाह से पूरी दुनिया के विकास को महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। इन हालातों से कोई भी देश अछूता नहीं है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों में बदलाव की दिशा उदार रह सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक के आर्थिक अनुसंधान विभाग की शोध रिपोर्ट- ‘एमपीसी बैठक की प्रस्तावना: 7-9 अप्रैल, 2025’ में कहा गया है, “हम अप्रैल 2025 की नीति में 25 आधार अंकों की दर कटौती की उम्मीद करते हैं। फरवरी के बाद अप्रैल 2025 में 2 क्रमिक दर कटौती हो सकती है। इसके बाद जून 2025 को छोड़कर दर कटौती का दूसरा दौर अगस्त 2025 से शुरू हो सकता है।” पिरामल समूह के मुख्य अर्थशास्त्री देबोपम चौधरी के अनुसार यह दुर्लभ अवसरों में से एक है जब अमेरिका में ब्याज दरों में गिरावट, रुपये में मजबूती और घरेलू मुद्रास्फीति का स्तर लक्ष्य से नीचे है।
चौधरी ने कहा, “आरबीआई को इस अवसर का पूरा फायदा उठाना चाहिए और आगामी बैठक में रेपो रेट में 50 आधार अंकों की कटौती करनी चाहिए। इससे पहली बात तो यह कि नीतिगत रुख बदलने में हुई देरी की भरपाई हो सकेगी। दूसरी बात यह कि यह मौका लंबे समय तक नहीं मिलेगा।”
बीएलएस ई-सर्विसेज के अध्यक्ष शिखर अग्रवाल के अनुसार सहायक बैंकिंग सेवा उद्योग उत्सुकता से एमपीसी के फैसलों की प्रतीक्षा कर रहा है। एमपीसी का निर्णय वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देकर विकास को गति देगा। अग्रवाल ने कहा, “हमें उम्मीद है कि आरबीआई ऐसी नीतियां पेश करेगा, जो विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में सहायक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच बढ़ाएगी।”
फ्रेटबॉक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष गुप्ता ने कहा कि उद्योग को उम्मीद है कि मौद्रिक नीति में निरंतर ढील दी जाएगी, उधार लेने और खर्च को प्रोत्साहित करने के लिए ब्याज दरों में कटौती भी की जा सकती है। गुप्ता ने कहा, “हमें यह भी उम्मीद है कि आरबीआई वित्तीय प्रणाली में तरलता में सुधार के लिए उपायों की घोषणा करेगा, जो हमारे जैसे स्टार्टअप्स के लिए फायदेमंद होगा, जो विकास को बढ़ावा देने के लिए पूंजी तक पहुंच पर निर्भर हैं।” बजाज ब्रोकिंग रिसर्च ने कहा कि अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि वृद्धि को समर्थन देने के लिए 25 आधार अंकों की और कटौती की जाएगी, खासकर हाल के बाहरी दबावों को देखते हुए।
अमेरिका ने भारतीय आयात पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है और इससे वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 20-40 आधार अंकों की कमी आने की उम्मीद है, जिससे संभावित रूप से यह आरबीआई के 6.7 प्रतिशत के पूर्व अनुमान से घटकर लगभग 6.1 प्रतिशत हो जाएगी। बजाज ब्रोकिंग रिसर्च ने कहा कि इससे आरबीआई को आर्थिक दबाव से निपटने के लिए दरों में और कटौती करने पर मजबूर होना पड़ सकता है। गवर्नर के अलावा एमपीसी में केंद्रीय बैंक के दो सीनियर अधिकारी और सरकार की ओर से नियुक्त तीन व्यक्ति होते हैं।