अजहरुद्दीन का नाम स्टैंड से हटाने का आदेश, कोर्ट जाने की तैयारी में पूर्व कप्तान

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन नए विवाद में फंसते जा रहे हैं। हैदराबाद के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के स्टैंड से उनका नाम हटाने का फरमान आया है। हैदराबाद क्रिकेट संघ (एचसीए) को नॉर्थ पवेलियन स्टैंड से अजहरुद्दीन का नाम हटाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा एचसीए से यह भी कहा गया है कि अजहरुद्दीन के नाम पर टिकट जारी नहीं किए जाएं। यह आदेश एचसीए के लोकपाल (सेवानिवृत्त) वी ईश्वरैया ने दिया है। 

लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब ने दाखिल की थी याचिका
लोकपाल ने एचसीए की सदस्य इकाइयों में से एक लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब द्वारा दायर याचिका के आधार पर यह निर्णय लिया जिसमें आरोप लगाया गया था कि अजहरुद्दीन ने मनमाने फैसले लेकर तत्कालीन एचसीए अध्यक्ष के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया। न्यायमूर्ति ईश्वरैया एचसीए के आचरण अधिकारी भी हैं। लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब ने इस साल 28 फरवरी को अजहरुद्दीन के खिलाफ याचिका में आरोप लगाया था कि दिसंबर 2019 में नॉर्थ स्टैंड का नाम अपने नाम पर रखने के प्रस्ताव को पारित कराने के लिए पूर्व एचसीए अध्यक्ष के रूप में शीर्ष परिषद की बैठक में बैठकर एचसीए के नियमों का उल्लंघन किया था। एचसीए संविधान के अनुसार किसी प्रस्ताव को आम सभा (एजीएम) द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।

अजहरुद्दीन बोले- लोकपाल का कार्यकाल हो चुका है समाप्त 
हालांकि, लोकपाल के आदेश के खिलाफ अजहरुद्दीन अदालत जाने की तैयारी में है। पूर्व भारतीय कप्तान ने लोकपाल के आदेश की वैधता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि उनका कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। अजहरुद्दीन ने कहा, मैं निश्चित रूप से कानूनी सहारा लूंगा और इस आदेश पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय में अपील करूंगा। यह शर्म की बात है कि एक भारतीय कप्तान का नाम हटाने के लिए कहा जा रहा है। संघ के उपनियमों के अनुसार, लोकपाल/आचरण अधिकारी का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस मामले में लोकपाल का कार्यकाल 18 फरवरी 2025 को समाप्त हो गया था और उस अवधि के बाद पारित कोई भी आदेश अमान्य है। उन्हें सेवा विस्तार नहीं मिला है जो केवल एजीएम के दौरान दिया जा सकता है जो नहीं हुआ है। तो फिर उन्होंने आदेश कैसे पारित किया।

सितंबर 2019 में चुने गए थे एचसीए अध्यक्ष
अजहर को सितंबर 2019 में एचसीए अध्यक्ष चुना गया था और उनका कार्यकाल सितंबर 2023 में समाप्त हो गया था। उनके विवादास्पद कार्यकाल के दौरान उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2023 में संघ के मामलों का प्रबंधन करने के लिए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की एक सदस्यीय समिति नियुक्त की थी। विपक्षी गुट ने आरोप लगाया कि अजहरुद्दीन से जुड़े लोग आयु वर्ग की टीमों में चयन घोटाले में शामिल थे। इस आरोप का 15000 से अधिक रन बनाने वाले इस पूर्व क्रिकेटर ने खंडन किया।

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