कानून मंत्रालय ने कहा है कि जनहित में लिए गए फैसलों को अगर ठीक से लागू नहीं किया जाए, तो इससे लोगों को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ सकता है। इससे केंद्र सरकार पर कानूनी बोझ बढ़ता है। मंत्रालय ने सरकार से जुड़े मुकदमों की संख्या को कम करने के लिए खास कदम उठाए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश की अदालतों में करीब सात लाख मामलों में केंद्र सरकार एक पक्ष है। अकेले वित्त मंत्रालय ही लगभग 1.9 लाख मामलों में पक्षकार है। ये जानकारी कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने फरवरी महीने में राज्यसभा में दी थी।
किस वजह से बढ़ते हैं मुकदमे?
कानून मंत्रालय के अनुसार, कई बार सरकार जनहित में फैसले तो लेती है, लेकिन उनका सही तरीके से लागू नहीं किया जाना या अस्पष्ट आदेश लोगों को परेशान करते हैं। इससे या तो लाभार्थियों को लाभ नहीं मिलता या फिर गलत लोगों को फायदा पहुंचता है। ऐसे में प्रभावित लोग इसे अन्याय मानकर अदालत में केस कर देते हैं।
कानून मंत्रालय का नया निर्देश
इन्हीं समस्याओं को देखते हुए कानून मंत्रालय के विधिक कार्य विभाग ने सरकारी मुकदमों के प्रभावी प्रबंधन के लिए निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत बिना वजह की अपीलों को रोका जाएगा। नोटिफिकेशन और आदेशों में विसंगतियों को दूर किया जाएगा। इसके साथ ही कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। हर मंत्रालय को इन निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।
सरकार की सोच- मुकदमे नहीं, समाधान जरूरी
कानून मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सरकार के फैसलों का मकसद जनता की भलाई और सुशासन है। लेकिन जब फैसले ठीक से लागू नहीं होते, तो जनता को ही नुकसान होता है और सरकार पर मुकदमों का बोझ बढ़ता है। इसलिए मंत्रालय चाहता है कि नए निर्देशों से मुकदमे कम हों और प्रशासन बेहतर चले।