हथियार डीलर संजय भंडारी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उसे काले धन के मामले में भगोड़ा घोषित करने के लिए दिल्ली की एक कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी का विरोध किया है. उसका कहना है कि ईडी की भगोड़ा घोषित करने की मांग सहीं नहीं है. भंडारी ने दावा किया कि ब्रिटेन में उसका रहना वैध है, क्योंकि लंदन हाई कोर्ट ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है.
संजय भंडारी ने मामले में लंदन हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इंग्लैंड की एक अदालत ने बीते 11 अप्रैल को करोड़ों रुपए के चावल खरीद घोटाले में एक अन्य आरोपी को प्रत्यर्पित करने के भारत सरकार के अनुरोध को खारिज कर दिया था. वहीं हाल ही में बेल्जियम में गिरफ्तार किए गए भगोड़े भारतीय हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी ने भी भारत प्रत्यर्पित करने का विरोध करते हुए लंदन हाईकोर्ट के उक्त आदेश का हवाला दिया है. भारत चोकसी को कथित 13,000 करोड़ रुपए के पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा चलाने के लिए वापस लाना चाहता है.
‘तिहाड़ जेल में उसे जबरन वसूली का खतरा होगा’
संजय भंडारी का नाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ धन शोधन मामले में ईडी की जांच में भी सामने आया है. लंदन हाई कोर्ट ने भंडारी की उस अपील को फरवरी में स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने टैक्स चोरी और धन शोधन के आरोपों का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित करने को चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा था कि तिहाड़ जेल में उसे जबरन वसूली का खतरा होगा, साथ ही अन्य कैदियों और जेल अधिकारियों की तरफ से उसे धमकी भी दी जा सकती है साथ ही उसके साथ हिंसा भी हो सकती है. वहीं इस महीने की शुरुआत में ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने भी भारत सरकार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसके आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति मांगी गई थी.
‘ब्रिटेन में रहने को अवैध नहीं कहा जा सकता…’
भंडारी ने बीते 19 अप्रैल को अपने वकील के जरिए से जज संजीव अग्रवाल के समक्ष दिए गए फैसलों का हवाला देते हुए ये दलीलें दीं. वकील ने दावा किया ‘उनके मुवक्किल के ब्रिटेन में रहने को अवैध नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उसे ब्रिटेन में रहने का कानूनी अधिकार है और भारत सरकार ब्रिटेन की अदालत के फैसले से बंधी हुई है. भंडारी कानूनी रूप से वहां रह रहा है और ऐसी स्थिति में उसे भगोड़ा घोषित करना कानूनी रूप से गलत है’.
‘ED का आवेदन अस्पष्ट, गलत और अधिकार क्षेत्र से बाहर’
भंडारी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दावा किया कि ईडी का आवेदन अस्पष्ट, गलत और अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि यह भगोड़ा अपराधी अधिनियम की शर्तों को पूरा नहीं करता. सिंह ने दावा किया कि भगोड़ा अपराधी अधिनियम के अनुसार, अनुसूचित अपराध (वर्तमान मामले में भंडारी के खिलाफ काले धन का मामला) 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक के गबन का होनी चाहिए ताकि किसी व्यक्ति को भगोड़ा घोषित किया जा सके.
उन्होंने कहा कि हालांकि जब ईडी ने भंडारी को भगोड़ा घोषित करने के लिए आवेदन दायर किया था, तो उनके पास आयकर विभाग का ऐसा कोई आकलन उपलब्ध नहीं था और कोर्ट को यह गुमराह किया गया कि अपराध में कुल 100 करोड़ रुपए से अधिक संलिप्तता है. वकील ने कहा ‘इसके अलावा, आयकर विभाग ने मार्च 2020 में कार्यवाही को रद्द करने के लिए भंडारी द्वारा दायर एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष रखे अपने पक्ष में कहा था कि अपराध में 100 करोड़ रुपए से कम राशि है’.
भंडारी की दलीलों पर कोर्ट ने 3 मई तक मांगा जवाब
उन्होंने कहा कि जिन गैर-जमानती वारंटों के आधार पर उन्हें ब्रिटेन में गिरफ्तार किया गया था, उन्हें ब्रिटेन के उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार बरी कर दिया गया है और उनके खिलाफ कोई नया वारंट लंबित नहीं है. वहीं दिल्ली की कोर्ट ने ईडी से भंडारी की दलील पर 3 मई तक जवाब मांगा है.