सेबी के बाद अब सरकार की नजर जेनसोल पर, जानें क्या है मामला

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि वह जेनसोल इंजीनियरिंग मामले में कंपनी के खिलाफ बाजार नियामक सेबी के आदेश की समीक्षा करने के बाद आवश्यक कार्रवाई करेगा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पिछले सप्ताह कंपनी के प्रवर्तक बंधुओं- अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी को विभिन्न मामलों के उल्लंघन के लिए प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया था.

यह आदेश सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग से ऋण राशि को निजी उपयोग के लिए निकालने के आरोपों के बीच आया है, जिनमें कॉरपोरेट प्रशासन और वित्तीय कदाचार पर चिंताएं जताई गई थीं. संपर्क किए जाने पर कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने बताया कि वह कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों को देखते हुए सेबी के आदेश की समीक्षा कर रहा है.

क्या है जेनसोल इंजीनियरिंग का मामला?

जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड मुख्य रूप से सौर ऊर्जा परियोजनाओं के डिजाइन, इंजीनियरिंग, और निर्माण (EPC) सेवाओं में विशेषज्ञता रखती है. कंपनी का मुख्यालय अहमदाबाद, गुजरात में स्थित है, और इसका एक कार्यालय गुरुग्राम, हरियाणा में भी है. इसके साथ ही जेनसोल इंजीनियरिंग की एक सब्सिडियरी कंपनी है, जिसका नाम BlueSmart है जो इलेक्ट्रिक टैक्सी प्रोवाइड कराती है. इस हेराफेरी का खेल BlueSmart से ही शुरू हुआ.

जेनसोल इंजीनियर ने इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के लिए IREDA और PFC से करीब 978 करोड़ रुपए लोन लिए थे. इस पैसे का इस्तेमाल कंपनी को ब्लू स्मार्ट और जेनसोल की बिजनेस प्लानिंग को आगे बढ़ाने के लिए करना था. जेनसोल ने पैसे जुटाने से पहले बताया था कि कंपनी 6400 इलेक्ट्रिक गाड़ी 664 करोड़ रुपए में खरीदेगी, जिन्हें ब्लू स्मार्ट को लीज पर दिया जाएगा. इसके साथ ही जेनसोल 20 प्रतिशत का अतिरिक्त इक्विटी भी देने को तैयार थी, जिससे इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीदने पर कुल खर्च 830 करोड़ रुप आना था. लेकिन SEBI को दी गई जानकारी में जेनसोल ने बताया कि उसने केवल 4704 ईवी खरीदी है जो कि 568 करोड़ रुपए में आई. इस हिसाब से SEBI को 262 करोड़ रुपए का हिसाब अभी तक नहीं मिला.

ऐशो आराम पर खर्च किया इंवेस्टर का पैसा

SEBI की जांच में सामने आया है कि जग्गी भाईयों ने जो पैसा 4700 ईवी खरीदने के लिए Go-Auto को ट्रांसाफर किया था, उसमें से कुछ पैसा बैक डोर से कैपब्रिज नाम की कंपनी के द्वारा जग्गी भाईयों के पास पहुंच गया और इस पैसे से गुरुग्राम में द कैमेलियास नाम से बने DLF के आलीशान प्रोजेक्ट में अपार्टमेंट खरीदने में किया गया. आपको बता दें ये अपार्टमेंट 43 करोड़ रुपए में खरीदा गया है.

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