मसूरी में ऐसे दी जाती है आईएएस की ट्रेनिंग, इन नियमों का करना होता है पालन

हर साल हजारों छात्र UPSC की कठिन सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन सफलता सिर्फ कुछ को ही मिलती है. जो कैंडिडेट इस परीक्षा में पास होते हैं, उनका अगला कदम होता है मसूरी जाना. उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों के बीच बसा है लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, जिसे LBSNAA कहा जाता है.

यहीं पर देश के भावी IAS अफसरों को ट्रेनिंग दी जाती है. मसूरी न सिर्फ अपने मौसम और सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि इसलिए भी खास है क्योंकि यहां से देश चलाने वाले अधिकारी तैयार होकर निकलते हैं.

फाउंडेशन कोर्स से होती है शुरुआत

जब कोई नया IAS अधिकारी मसूरी पहुंचता है, तो उसकी ट्रेनिंग की शुरुआत फाउंडेशन कोर्स से होती है. यह कोर्स सभी सेवाओं जैसे IAS, IPS, IFS के चयनित कैंडिडेट्स के लिए होता है. इस कोर्स में उन्हें एडमिनिस्ट्रेशन, कॉन्स्टिट्यूशन, सोशियोलॉजी, इकोनॉमिक्स लैंग्वेज जैसे विषयों की जानकारी दी जाती है.

इसके साथ ही उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि एक अधिकारी को कैसा व्यवहार करना चाहिए, जनता से कैसे बात करनी चाहिए और सरकारी कामकाज किस तरह से होता है.

पढ़ाई के साथ होती है फिजिकल ट्रेनिंग भी

मसूरी की ट्रेनिंग सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं होती. यहां सुबह-सुबह पीटी परेड होती है, योग कराया जाता है और कई बार पहाड़ियों में ट्रेकिंग भी कराई जाती है. इसका मकसद यह होता है कि अफसर शारीरिक रूप से भी मजबूत बने और उनमें अनुशासन की भावना आए. इसके साथ-साथ स्पोर्ट्स, कल्चरल इवेंट और स्पीच प्रतियोगिता भी होती हैं ताकि अफसरों का सेल्फ-कॉन्फिडेंस बढ़े.

भारत दर्शन से होती है देश की पहचान

फाउंडेशन कोर्स के बाद अफसरों को भारत दर्शन पर भेजा जाता है. यह एक तरह की स्टडी टूर होती है जिसमें अफसर देश के अलग-अलग हिस्सों में घूमते हैं. वे गांवों, शहरों, बॉर्डर एरिया, सेना की टुकड़ियों और गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशनों का दौरा करते हैं. इससे उन्हें भारत की डाइवर्सिटी, कल्चर और एडमिनिस्ट्रेशन की असली तस्वीर देखने को मिलती है.

प्रोफेशनल ट्रेनिंग से मिलती है असली जानकारी

भारत दर्शन के बाद IAS अफसरों की प्रोफेशनल ट्रेनिंग शुरू होती है. इस दौरान उन्हें यह सिखाया जाता है कि जिला प्रशासन कैसे चलता है, कानून व्यवस्था कैसे बनाई जाती है, योजनाओं को कैसे लागू किया जाता है और सरकारी दस्तावेजों को कैसे संभालना होता है. यह ट्रेनिंग बहुत ही प्रैक्टिकल होती है और इससे उन्हें अपने भविष्य की जिम्मेदारियों की सही समझ मिलती है.

फील्ड ट्रेनिंग से होता है असली अनुभव

जब IAS अफसर मसूरी में अपनी पढ़ाई और प्रोफेशनल ट्रेनिंग पूरी कर लेते हैं, तो उन्हें किसी जिले में भेजा जाता है. वहां वे एसडीएम, बीडीओ, तहसीलदार जैसे अधिकारियों के साथ काम करते हैं और असली एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपीरियंस लेते हैं. यह फील्ड ट्रेनिंग उनकी सबसे अहम परीक्षा होती है, क्योंकि यहां वे सीधे आम जनता से जुड़ते हैं और असली समस्याओं से निपटना सीखते हैं.

मसूरी बनाता है देश के जिम्मेदार अफसर

LBSNAA, मसूरी सिर्फ एक ट्रेनिंग सेंटर नहीं है, बल्कि यह वह जगह है जहां से देश को चलाने वाले ईमानदार, मेहनती और संवेदनशील अफसर तैयार होकर निकलते हैं. यहां की ट्रेनिंग न केवल ज्ञान देती है, बल्कि एक मजबूत सोच और देशभक्ति की भावना भी पैदा करती है. यही वजह है कि मसूरी को IAS अफसरों की जन्मभूमि कहा जाता है.

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