18 की उम्र से पहले इंस्टाग्राम चलाना हुआ मुश्किल, मेटा ने लिया ये बड़ा फैसला

सोशल मीडिया का इस्तेमाल आज हर उम्र के लोग कर रहे हैं. लेकिन Instagram पर बच्चें और टीन्स यूजर तेजी से बढ़ रहे हैं. कई बार बच्चे अपनी असली उम्र छिपाकर Instagram पर अडल्ट बनने की कोशिश करते हैं. ताकि वे कुछ ऐसे कंटेंट या फीचर्स एक्सेस कर सकें जो सिर्फ बड़ों के लिए होते हैं. अब इंस्टाग्राम ने इस समस्या को सुलझाने के लिए AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद लेनी शुरू कर दी है.

AI कैसे करेगा उम्र का पता?

Instagram अब AI टेक्नोलॉजी की मदद से ये चेक करने की कोशिश कर रहा है कि कोई टीनेजर (13-17 साल का) कहीं खुद को 18 साल से ज्यादा तो नहीं दिखा रहा. इस प्रोसेस में चेहरे की फोटो देखकर उम्र का अंदाजा लगाया जाता है. यूजर के बिहेवियर और ऐप पर एक्टिविटी के आधार पर भी उम्र का अंदाजा लगाया जाएगा. Instagram को शक होगा तो वो यूजर से फेस स्कैन या Age Certificate मांग सकता है. सच सामने आने के बाद ऐसे अकाउंट को टीनेज अकाउंट में स्विच कर दिया जाएगा.

मेटा के मुताबिक, ये टेक्नोलॉजी पूरी तरह से प्राइवेसी को ध्यान में रखकर बनाई गई है. Instagram इस डेटा को किसी के साथ शेयर नहीं करेगा और स्कैन कुछ ही मिनटों में डिलीट कर दिए जाएंगे.

टीनेज अकाउंट क्या होता है?

  • टीनेज अकाउंट बाइ डिफॉल्ट प्राइवेट होता है. इसका मतलब उनकी प्रोफाइल और पोस्ट सबको नहीं दिखती. इसके अलावा, प्राइवेट मैसेज (DM) पर भी लिमिट सेट होती है. टीनेज यूजर को सिर्फ वही लोग मैसेज भेज सकते हैं, जिन्हें वे पहले से फॉलो करते हैं या जिनसे पहले से जुड़े हुए हैं.
  • Instagram पर दिखने वाला सेंसटिव कंटेंट जैसे झगड़े की वीडियो या कॉस्मेटिक सर्जरी को बढ़ावा देने वाले पोस्ट भी कम दिखाए जाएंगे.
  • Meta के मुताबिक, अगर कोई टीनेजर Instagram पर 60 मिनट से ज्यादा समय बिताता है, तो उसे एक नोटिफिकेशन मिलेगा.
  • इसके साथ Sleep Mode भी ऑन हो जाएगा, जो रात 10 बजे से सुबह 7 बजे तक रहेगा. इस दौरान सभी नोटिफिकेशन बंद कर दी जाएंगी.

Meta-सोशल मीडिया कंपनियों की ऐप्स स्टोर्स से डिमांड

Meta और दूसरी सोशल मीडिया कंपनियां चाहती हैं कि ऐप स्टोर उम्र वेरिफाई करने की जिम्मेदारी लें. कंपनियों का कहना है कि उम्र वेरिफाई करना ऐप स्टोर्स की जिम्मेदारी होनी चाहिए, ताकि ये तय किया जा सके कि बच्चे उनके ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं.

ये बात तब कही गई है जब सोशल मीडिया कंपनियों पर ये आरोप लग रहा है कि वे बच्चों की सेफ्टी के लिए पॉसिबल कदम नहीं उठा रही हैं. कंपनियां ये भी ठीक से नहीं देख रहीं कि 13 साल से कम उम्र के बच्चे उनके प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे.

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