महाराष्ट्र: सरकार ने हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के आदेश पर लगाई रोक

महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने के अपने आदेश पर रोक लगा दी है।  इस मामले में एक नया सरकारी आदेश (जीओ) जारी किया जाएगा। राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने मंगलवार को यह जानकारी दी।  

यह फैसला उस समय वापस लिया गया है, जब कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र सरकार की भाषा सलाहकार समिति ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस निर्णय को वापस लेने की सिफारिश की थी।

सरकार ने बीते गुरुवार को फैसला किया था कि राज्यभर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ना अनिवार्य होगा। यह दो भाषाओं के अध्ययन की प्रथा से अलग है। वहीं राज्य की राजनीतिक पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने सरकार के इस फैसले की निंदा की थी। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा था कि उनकी पार्टी इस फैसले का कड़ा विरोध करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इसे लागू न किया जाए।

क्यों लागू किया गया ये नियम?
कक्षा 1 से 5 के लिए तीन-भाषा फॉर्मूला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत नए पाठ्यक्रम कार्यान्वयन का एक हिस्सा है। राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूली शिक्षा के लिए एनईपी 2020 की सिफारिशों के अनुसार तैयार किए गए नए पाठ्यक्रम ढांचे के चरणबद्ध कार्यान्वयन की योजना घोषित की है।

महाराष्ट्र पर दूसरे क्षेत्र की भाषा क्यों थोप रहें: राज
राज ठाकरे ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, ‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मनसे इस फैसले को बर्दाश्त नहीं करेगी। हम केंद्र सरकार के हर चीज को ‘हिंदीकृत’ करने के मौजूदा प्रयासों को इस राज्य में सफल नहीं होने देंगे।’ ‘हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है। यह देश की अन्य भाषाओं की तरह एक राज्य की भाषा है। इसे महाराष्ट्र में शुरू से ही क्यों पढ़ाया जाना चाहिए?’

उन्होंने आगे कहा, आपका त्रिभाषी फॉर्मूला जो भी हो, उसे सरकारी मामलों तक सीमित रखें, इसे शिक्षा में न लाएं।’ मनसे प्रमुख ने कहा, ‘आपने महाराष्ट्र पर दूसरे क्षेत्र की भाषा क्यों थोपना शुरू कर दिया है? भाषाई क्षेत्रीयकरण के मूल सिद्धांत को कमजोर किया जा रहा है।’

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