कश्मीर में रहने दो या हमारी लाशें सीमा पार भेज दो: पूर्व आतंकियों की पाकिस्तानी बीवियां

पहलगाम हमले के बाद सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने की सख्त हिदायत दी है. मेडिकल वीजा धारकों को छोड़कर इसकी मियाद भी पूरी हो गई है. मेडिकल वीजा धारकों को 29 अप्रैल तक का समय दिया गया है. इस बीच जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा में पुनर्वासित पूर्व आतंकवादियों की पाकिस्तानी पत्नियों का कहना है कि वो अपने पुराने मुल्क लौटने के बजाय जम्मू-कश्मीर में मरना पसंद करेंगी. उन्हें कश्मीर में ही रहने दिया जाए या फिर ताबूत में भेजा जाए.

ये महिलाएं पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां हैं. ये पुनर्वास नीति-2010 के तहत कश्मीर आई थीं. इन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि उन्हें कश्मीर में ही रहने दिया जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर ताबूत में भेज दिया जाए. पूर्व आतंकी की बीवी एलिजा रफीक पुनर्वास नीति के तहत 2013 में कश्मीर आई थीं. इस नीति के तहत उन आतंकियों के पुनर्वास की व्यवस्था की गई थी, जो आतंकी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान या पीओके गए थे.

मैं उसे कैसे छोड़ सकती हूं?

हालांकि, बाद में आतंकवाद से तौबा कर लिया और घाटी वापस लौटना चाहते थे. उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा में रह रहीं रफीक ने बताया कि पुलिस ने उन्हें भारत छोड़ने के लिए कहा है. रफीक ने पीटीआई से कहा, हमें देश छोड़ने को कहा गया है. मेरे तीन बच्चे हैं. मुझे मेरी सबसे छोटी बेटी को यहां छोड़कर जाने के लिए कहा गया है. वो छोटी है, मैं उसे कैसे छोड़ सकती हूं.’

एलजी साहब से मेरी गुहार है

रफीक ने कहा, मैं पति को कैसे छोड़ सकती हूं. मैंने घर बनाया है. सरकार की नीति के तहत हम यहां आए थे. हमने क्या किया है? जो हुआ है उसमें हमारा क्या गुनाह है? हमारे पास वोटर आईडी और आधार कार्ड है. हाल ही में हुए चुनाव में मैंने वोट भी डाला था. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मेरी गुहार है कि हमें कश्मीर में रहने दिया जाए. पिछले 12 साल से कश्मीर में ही मेरा घर है.

हमने कोई पाप नहीं किया है

रफीक ने कहा, एलजी साहब से अपील है कि हमारे साथ बेरहमी न करें. हमने कोई पाप नहीं किया है. हमें यहां रहने दें. अगर नहीं रहने देते हैं तो हमें मार दें और हमारी लाशों को सीमा पार भेज दें. एक अन्य पाकिस्तानी महिला जाहिदा बेगम ने कहा, वो कश्मीर में शांति से रहना चाहती है. पुलिस ने जाने के लिए कहा है. मैं वापस नहीं जाना चाहती. मेरी दो बेटियां हैं. बेटा 10 साल का है. मुझे माफ कर दें. मैं यहीं रहना चाहती हूं.

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