भारत-पाक गोलीबारी से सऊदी चिंतित, दी अहम प्रतिक्रिया

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच चुका है. हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद बॉर्डर पर हुई गोलीबारी ने हालात को गंभीर बना दिया है. पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए. इसी बीच सऊदी अरब ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए दोनों देशों से संयम बरतने और कूटनीतिक माध्यमों से मसला सुलझाने की अपील की है.

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी कर भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताई. सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव चिंता का विषय है. दोनों देशों को संयम बरतना चाहिए और कूटनीतिक रास्ते से विवादों का हल निकालना चाहिए. यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब सीमा पर गोलीबारी की घटनाएं बढ़ रही हैं और युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं.

मुस्लिम देशों की नजरें टिकी

सऊदी अरब का यह बयान यह भी दर्शाता है कि मुस्लिम देशों की भी नजर इस मसले पर टिकी हुई है. हालांकि, अमेरिका, फ्रांस और जापान जैसे कई सुपरपावर देश पहले से ही इशारों में भारत के रुख का समर्थन कर चुके हैं. लेकिन सऊदी का यह बयान एक संतुलित अपील की तरह देखा जा रहा है, जिसमें क्षेत्रीय स्थिरता की अहमियत को प्रमुखता दी गई है.

भारत की इस स्ट्राइक से पाक पस्त

भारत ने पहलगाम हमले के बाद सख्त प्रतिक्रिया दी है. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ डिप्लोमैटिक स्ट्राइक करते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को घेरने की कोशिशें तेज हो गई हैं. पाकिस्तान की ओर से लगातार युद्ध की धमकियां दी जा रही हैं, लेकिन भारत ने अपने रुख में स्पष्टता बनाए रखी है कि आतंक के खिलाफ कार्रवाई में कोई समझौता नहीं होगा.

पहलगाम में पाक की साजिश

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पहलगाम हमले में शामिल तीन आतंकियों की पहचान की है, जिनमें से दो पाकिस्तानी नागरिक हैं. वहीं पाकिस्तान का दावा है कि भारत कोई सैन्य कार्रवाई करने की योजना बना रहा है. इस आशंका ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है. एलओसी पर भी गोलीबारी की घटनाएं बढ़ने लगी हैं जिससे सीमा पर रहने वाले नागरिकों में डर का माहौल है.

विशेषज्ञ मानते हैं कि सऊदी अरब की अपील पाकिस्तान पर एक कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश हो सकती है ताकि वह आतंकवाद के मुद्दे पर गंभीर हो. साथ ही यह भारत के लिए भी एक संदेश है कि वह सैन्य विकल्पों से पहले कूटनीतिक उपायों पर जोर दे. अब सबकी नजर इस पर है कि भारत और पाकिस्तान इस अंतरराष्ट्रीय अपील पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या यह तनाव युद्ध में तब्दील होता है या शांति के रास्ते पर लौटता है.

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