पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक इंटरव्यू में देश के आतंकवाद से जुड़े इतिहास को स्वीकार करते हुए कहा है कि यह कोई रहस्य नहीं है कि पाकिस्तान ने कट्टरपंथी तत्वों को पनाह दी है। स्काई न्यूज से बातचीत में उन्होंने कहा, “पाकिस्तान का एक बीता हुआ कल रहा है, जिसकी भारी कीमत हमने चुकाई है। चरमपंथ की लहरों से गुज़रते हुए हमने सबक सीखे हैं और अब आंतरिक रूप से काफी कुछ बदला है।”
भुट्टो ने बताया कि आतंकवाद का असर व्यक्तिगत रूप से भी उनके जीवन पर पड़ा है। उन्होंने कहा, “मेरी मां की हत्या उन्हीं आतंकियों ने की थी जो कभी हमारे देश में पले-बढ़े। मैं खुद भी उनके निशाने पर रहा हूं।”
उनका यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी स्वीकार किया था कि पाकिस्तान ने लंबे समय तक आतंकवादी संगठनों को सहायता और वित्तीय समर्थन दिया। आसिफ ने कहा था कि “हमने तीन दशक तक अमेरिका और पश्चिम के लिए काम किया जो एक बड़ी भूल थी, और इसकी कीमत हमें चुकानी पड़ी।”
यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय आई है जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा पर मढ़ी गई है।
मीरपुरखास में एक जनसभा को संबोधित करते हुए भुट्टो ने दोहराया कि पाकिस्तान शांति चाहता है, लेकिन अगर भारत ने उकसाया तो जवाब देने के लिए तैयार रहेगा। उन्होंने कहा, “हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर हमारे सिंधु जल संसाधनों पर हमला हुआ, तो हम जवाब देने में पीछे नहीं हटेंगे।”
इन बयानों के बाद पाकिस्तान की आतंकवाद के प्रति कथनी और करनी में अंतर पर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सवाल उठने लगे हैं।