भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद भारतीय रुपया अपनी मजबूती को बनाए हुए है। इस समय रुपया डॉलर के मुकाबले अपनी 7 महीने की सबसे ऊंची स्थिति पर पहुंच गया है, जिसमें 77 पैसे की वृद्धि दर्ज की गई है। यह वृद्धि इस साल के किसी भी दिन की सबसे बड़ी बढ़त है। आंकड़ों के अनुसार, रुपया अब 83.77 के स्तर पर पहुंच चुका है, जो सितंबर 2024 के बाद का उच्चतम स्तर है।
इस मजबूत स्थिति का मुख्य कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और विदेशी निवेशकों का निरंतर निवेश है। इसके अतिरिक्त, अप्रैल माह में जीएसटी कलेक्शन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है, जो 2.37 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचा, और यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके साथ ही भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौतों की संभावना भी रुपये को मजबूती दे रही है।
विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 83.98 के स्तर से खुला, फिर 83.77 तक बढ़कर बंद हुआ, जो कि पिछले दिन के मुकाबले 77 पैसे की वृद्धि थी। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते सतर्कता बनी हुई है, जो रुपये की स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पबारी के अनुसार, रुपये में मार्च महीने में 2% की वृद्धि देखी गई थी, जो नवंबर 2018 के बाद से सबसे बेहतर प्रदर्शन था। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी है कि भू-राजनीतिक तनावों के कारण रुपये में अस्थिरता आ सकती है।
आर्थिक मोर्चे पर, जीएसटी कलेक्शन ने भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाया है, और इसके परिणामस्वरूप रुपया मजबूती से उभरा है। साथ ही, वैश्विक बाजारों में डॉलर इंडेक्स में गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल भी रुपये को समर्थन दे रहे हैं।