पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया को लेकर पाकिस्तान में सियासी बवाल मच गया है। पाकिस्तान के संघीय सूचना मंत्री और सेना के प्रवक्ता ने रविवार को भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी देने की घोषणा की, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), ने इस बैठक में भाग लेने से मना कर दिया है।
सरकारी रेडियो पाकिस्तान और पीटीवी न्यूज के अनुसार, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी और संघीय सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने घोषणा की कि वे पाकिस्तान और भारत के बीच बढ़ते तनाव और सुरक्षा स्थिति पर राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं को संयुक्त रूप से जानकारी देंगे।
रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक, यह उच्च-स्तरीय ब्रीफिंग पाकिस्तान-भारत संबंधों, राष्ट्रीय सुरक्षा और “हाल के घटनाक्रमों के निहितार्थ” पर केंद्रित होगी। इस दौरान प्रतिभागियों को पाकिस्तान के सशस्त्र बलों की रक्षात्मक तैयारियों, कूटनीतिक प्रयासों और सरकार के आधिकारिक रुख से अवगत कराया जाएगा।
हालांकि, पीटीआई ने इस ब्रीफिंग में शामिल न होने का निर्णय लिया है। पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी एक बयान में कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि सरकार ने राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। पार्टी ने यह भी कहा कि इमरान खान को इस बैठक में शामिल करने का कोई इरादा नहीं था।
पीटीआई ने बताया कि उसने हमेशा आतंकवाद की निंदा की है, और सरकार को सभी पक्षों को विश्वास में लेकर एक बहुदलीय सम्मेलन बुलाना चाहिए था, ताकि एक आम कार्रवाई की दिशा तय की जा सके। पार्टी ने सरकार के इस कदम को एकतरफा और अपर्याप्त बताते हुए कहा कि इस अवसर को ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया।
पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव बढ़ने के बीच पाकिस्तान ने अपनी परमाणु-सक्षम अब्दाली मिसाइल के उन्नत संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है, जिससे उसकी सीमा 450 किलोमीटर तक बढ़ गई है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने हाल ही में कहा था कि भारत द्वारा किसी भी दुस्साहस का कड़ा जवाब दिया जाएगा। वहीं, सेना के शीर्ष अधिकारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि भारत ने युद्ध थोपने की कोशिश की तो पाकिस्तान निश्चित और निर्णायक जवाब देगा।
भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास संवेदनशील क्षेत्रों में गेहूं के आटे के भंडार को फिर से भरने की प्रक्रिया तेज कर दी है, ताकि किसी भी सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहा जा सके।