ग्वालियर स्थित राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए भारतीय संस्कृति और राष्ट्रभक्ति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतवासी होने की पहचान ही हमारी सबसे बड़ी पहचान है और राष्ट्रधर्म किसी भी व्यक्तिगत आस्था से ऊपर होता है।
धनखड़ ने दिवंगत राजमाता विजयाराजे सिंधिया को नमन करते हुए कहा कि उन्होंने अपना जीवन सेवा, त्याग और राष्ट्रहित में बिताया। उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भी उल्लेख किया, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में भारत एक सशक्त नेतृत्व और मजबूत इच्छाशक्ति के साथ आतंकवाद का सामना कर रहा है।
राजमाता का जीवन राष्ट्रवाद की मिसाल
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजमाता हमेशा राष्ट्रवाद की पक्षधर रहीं। उनका मानना था कि राष्ट्रहित सर्वोपरि है और यही भावना प्रत्येक नागरिक के भीतर होनी चाहिए। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे अपने कर्तव्यों में देश को सर्वोच्च प्राथमिकता दें और हर कार्य में राष्ट्र को केंद्र में रखें।
कृषि को बताया भारत की प्रगति की नींव
धनखड़ ने अपने भाषण में कृषि और किसानों के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्धि का रास्ता खेतों से होकर गुजरता है। देश को विकसित बनाने में किसानों की भूमिका निर्णायक है। उपराष्ट्रपति ने किसानों को सिर्फ उत्पादक नहीं, बल्कि कृषि उद्यमी के रूप में विकसित करने की जरूरत पर भी ज़ोर दिया।
उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ से लेकर ‘जय विज्ञान, जय अनुसंधान’ तक के नारे की ऐतिहासिक यात्रा का जिक्र करते हुए छात्रों और शोधकर्ताओं से कहा कि वे नवाचार और अनुसंधान को अपनाकर भारत के भविष्य को मजबूत बनाएं।
शिवराज सिंह चौहान की सराहना
अपने भाषण में उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की किसानों के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि चौहान ने किसानों की समस्याओं को न केवल समझा बल्कि उनसे सीधा संवाद कायम कर समाधान भी पेश किए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की नीतियों को अब किसान भी सकारात्मक रूप में देख रहे हैं।