कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की चुप्पी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि हमारे विदेश मंत्री, जो अक्सर मुखर रहते हैं, इस बार चुप क्यों हैं? उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ सबसे ज्यादा वक्त बिताने वाले भारतीय, जयशंकर ही हैं।
रुबियो से मुलाकात का जिक्र
रमेश ने याद दिलाया कि जब डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, तो अगले ही दिन रुबियो से मिलने वाले पहले शख्स भी जयशंकर ही थे। लेकिन इस बार जब रुबियो ने भारत-पाक वार्ता में अमेरिकी मध्यस्थता और ‘न्यूट्रल साइट’ की बात कही, तो जयशंकर की चुप्पी चौंकाने वाली है।
अमेरिकी मध्यस्थता का दावा
खबरों के अनुसार, अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम कराने में अहम भूमिका निभाई थी। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत और पाक के एनएसए से बातचीत की थी। इसके अलावा, उन्होंने जयशंकर और पाक सेना प्रमुख से भी चर्चा की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हाल ही में इस बात की पुष्टि की कि अमेरिका ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम में मदद की।
ट्रंप का बयान
ट्रंप ने कहा था कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने भारत-पाक युद्ध रुकवाया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पास परमाणु हथियारों का भंडार है, इसलिए युद्धविराम जरूरी था। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों को व्यापार रोकने की सलाह दी थी, जिसके बाद तनाव कम हुआ।
विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के दावे को नकारा
हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इन बयानों को खारिज कर दिया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सीजफायर वार्ता में व्यापार का कोई मुद्दा नहीं उठा था। उन्होंने दो टूक कहा कि कश्मीर पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को भारत स्वीकार नहीं करेगा। कश्मीर का मसला भारत और पाकिस्तान के बीच का है और इसमें किसी अन्य देश का दखल बर्दाश्त नहीं।
जयशंकर की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे मामले में जहां विदेश मंत्रालय ने अपना रुख साफ किया है, वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर की चुप्पी अब भी चर्चा का विषय बनी हुई है। जयराम रमेश ने इसी चुप्पी पर सवाल उठाते हुए सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।