मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं के कारोबार को ‘सामाजिक अपराध’ करार देते हुए इसे जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा बताया। उन्होंने साफ कहा कि इस विषय में किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जीरो टॉलरेंस नीति पर सख्ती से अमल
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राज्य सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत मिलावटखोरों और नकली दवाओं के व्यापार में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे अपराधियों को सार्वजनिक रूप से चिन्हित किया जाए और उनकी तस्वीरें प्रमुख चौराहों पर लगाई जाएं, ताकि जनता भी इन्हें पहचान सके।
खाद्य सुरक्षा पर विशेष जोर
बुधवार को खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन (एफएसडीए) की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि तेल, घी, मसाले, दूध और पनीर जैसी आवश्यक वस्तुओं की जांच प्राथमिक रूप से उत्पादन स्थल पर ही की जाए। दूध और दुग्ध उत्पादों की विशेष रूप से गहन जांच के लिए समर्पित टीमें गठित करने का भी निर्देश दिया।
नकली दवाओं पर कड़ा रुख
नकली औषधियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए मुख्यमंत्री ने पुलिस और संबंधित विभागों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रवर्तन कार्यवाहियों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, औषधियों की गुणवत्ता को लेकर हो रही कार्रवाई की समीक्षा भी की गई।
खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं का विस्तार
मुख्यमंत्री को जानकारी दी गई कि राज्य में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं का नेटवर्क तेजी से बढ़ा है। पहले छह प्रमुख मंडलों में मौजूद प्रयोगशालाओं के अलावा अब अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन मंडलों में भी नई प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।
लखनऊ, गोरखपुर और झांसी में प्रयोगशाला भवनों का उच्चीकरण किया गया है। साथ ही, लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, जिनमें सूक्ष्मजीव, प्रोटोजोआ, विषाणु, जीवाणु और माइक्रोटॉक्सिन्स की जांच संभव हो पाई है। मुख्यमंत्री ने इन प्रयोगशालाओं के प्रभावी संचालन के लिए ‘कॉर्पस फंड’ स्थापित करने का सुझाव भी दिया।