मणिपुर की पारंपरिक मार्शल आर्ट थांग-टा, जो खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 (KIYG) में शामिल पांच स्वदेशी खेलों में से एक है, का आयोजन बुधवार को गया के बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड रूरल डेवलपमेंट (BIPARD) में समापन हुआ। इस दौरान मेज़बान बिहार ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए पहली बार दो स्वर्ण पदक जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित किया। वहीं, मणिपुर ने तीन स्वर्ण पदक के साथ अपना दबदबा बरकरार रखा।
बिहार के प्रिय प्रेरणा और माहिका कुमारी ने जीते स्वर्ण पदक
बिहार की प्रिय प्रेरणा और माहिका कुमारी ने स्वर्ण पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया। कुल आठ स्वर्ण पदकों में मणिपुर ने तीन, बिहार और असम ने दो-दो, और मध्य प्रदेश ने एक स्वर्ण पदक जीता।
थांग-टा का इतिहास और हुइद्रोम प्रेमकुमार का योगदान
70 वर्षीय हुइद्रोम प्रेमकुमार, जिन्होंने थांग-टा के पुनरुत्थान में अहम भूमिका निभाई, ने इस खेल के इतिहास पर बात की। उन्होंने बताया कि 1891 में ब्रिटिश सरकार ने इस खेल को प्रतिबंधित कर दिया था क्योंकि यह उनके लिए चुनौती बन चुका था। 1930 में एक स्थानीय राजा के प्रयासों से इसे पुनर्जीवित किया गया और 1988 में प्रेमकुमार ने इसे आगे बढ़ाया। अब यह खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो चुका है और 2021 में इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल किया गया।
प्रेमकुमार ने कहा, “हमने अपनी पूरी ज़िंदगी थांग-टा को समर्पित किया है और हम गर्व महसूस करते हैं कि इसे एक नई पहचान मिली है।”
प्रतियोगिता में भागीदारी और परिणाम
थांग-टा प्रतियोगिता में दो वर्ग थे: फुनबा अमा (परंपरागत संस्करण) और फुनबा अनीशुबा (प्रेमकुमार द्वारा विकसित संस्करण)। इस प्रतियोगिता में 25 राज्यों के 128 खिलाड़ियों ने भाग लिया।
फुनबा अनीशुबा (बालक, -56kg)
• स्वर्ण: थोकचोम श्रीनिवास सिंह (मणिपुर)
• रजत: सत्यं डांगी (मध्य प्रदेश)
• कांस्य: राहुल यादव (राजस्थान), मनीष राय (नागालैंड)
फुनबा अनीशुबा (बालक, -60kg)
• स्वर्ण: कोंजेंगबम परेहानबा सिंह (मणिपुर)
• रजत: गर्व (दिल्ली)
• कांस्य: हरमन सैनी (पंजाब), भुमिक राज (बिहार)
फुनबा अमा (बालक, -56kg)
• स्वर्ण: प्रणय दास (असम)
• रजत: वैभव शरद माली (महाराष्ट्र)
• कांस्य: युमनाम मलेमंगनबा मैतेई (मणिपुर), जस्टिन वेनर (नागालैंड)
फुनबा अमा (बालिका, -52kg)
• स्वर्ण: प्रिया प्रेर्णा (बिहार)
• रजत: इरोम अनामिका देवी (मणिपुर)
• कांस्य: किरण साहू (छत्तीसगढ़), अपेक्षा बसवराज (महाराष्ट्र)
बिहार के कोच की भूमिका
बिहार के कोच सारंगथेम टीकेन सिंह ने राज्य की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने बताया कि बिहार के खिलाड़ी अत्यंत प्रतिभाशाली हैं और उन्होंने राजगीर में दो महीने का कैंप करके कड़ी मेहनत की, जिससे यह सफलता संभव हो पाई।