गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने की। इससे पहले, पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी, लेकिन 13 मई को उनके पद छोड़ने के बाद नई पीठ ने कार्यभार संभाला।
केंद्र का सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव पर विरोध
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ परिषदों और बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने के प्रावधान पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन केंद्र ने इसका विरोध किया। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों से जुड़ी अधिसूचनाओं को रद्द करने के खिलाफ भी अंतरिम आदेश पारित करने के प्रस्ताव पर केंद्र ने आपत्ति जताई।
विवादित प्रावधानों पर केंद्र का पक्ष
इससे पहले, 25 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने संशोधित वक्फ अधिनियम 2025 का समर्थन करते हुए 1,332 पन्नों का एक प्रारंभिक हलफनामा दायर किया। केंद्र ने अदालत से अनुरोध किया कि संसद से पारित संवैधानिक कानून पर पूर्ण रोक न लगाई जाए। केंद्र ने दावा किया कि अधिनियम के कुछ प्रावधानों को लेकर झूठी और भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है।
केंद्र की अपील
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज किया जाए। सरकार ने यह भी कहा कि कुछ समूह इस कानून के प्रावधानों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर रहे हैं।