सलमान रुश्दी के हमलावर को 25 साल की सजा

भारतीय मूल के ब्रिटिश अमेरिकी उपन्यासकार सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला करने वाले शख्स को 25 साल की जेल की सजा सुनाई गई है. साल 2022 में उनपर अमेरिका में हादी मतार नाम के शख्स ने हमला किया था, जिसमें उनकी एक आंखी की रोशनी चली गई थी. कोर्ट ने फरवरी 2025 में सलमान रुश्दी पर कई बार चाकू से हमला करने वाले न्यूजर्सी के इस शख्स को हत्या के प्रयास में दोषी करार दिया था.

मंच पर चढ़कर हमलावर ने किया था चाकू से हमला

पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य के चौटाउक्वा काउंटी कोर्ट में दो सप्ताह की सुनवाई के बाद मतार को दोषी करार दिया. 77 वर्षीय रुश्दी ने गवाही दी कि वह ऐतिहासिक चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में मंच पर थे, जब उन्होंने एक व्यक्ति को अपनी ओर भागते हुए देखा. घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमलावर की आंखें देखकर वह दंग रह गए, जो काली थीं और बहुत क्रूर लग रही थीं. पहले तो उन्होंने सोचा कि उन पर मुक्के से हमला किया गया, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि उन्हें चाकू मारा गया है.

हमलावर ने सलमान रुश्दी को पाखंडी बताया

कोर्ट में सजा सुनाए जाने से पहले हादी मतार ने खड़े होकर अभिव्यक्ति की आजादी पर कई बातें कही, जिसमें उसने रुश्दी को पाखंडी बताया. हादी मतार ने कहा, “सलमान रुश्दी दूसरे लोगों का अनादर करना चाहते हैं. वह दूसरे लोगों को धमकाना चाहते हैं और मैं इससे सहमत नहीं हूं.” रुश्दी की हत्या के प्रयास के लिए हादी मतार को 25 साल और मंच पर मौजूद एक अन्य व्यक्ति को घायल करने के लिए 7 साल की सजा सुनाई गई. कोर्ट ने कहा कि दोनों सजा एक साथ चलेगी क्योंकि दोनों पीड़ित एक ही घटना में घायल हुए थे.

हादी मतार ने तीन आरोपों में खुद को निर्दोष बताया, जिनमें उनपर आतंकवादियों को सामग्री उपलब्ध कराने, हिजबुल्लाह को सहायता उपलब्ध कराने का प्रयास और बॉर्डर के पास आतंकवाद में संलिप्त होने का आरोप लगाया गया था.

रुश्दी के खिलाफ जारी हुआ था फतवा

यह हमला रुश्दी के विवादास्पद उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज के पहली बार प्रकाशित होने के 35 साल से भी ज्यादा समय बाद हुआ था. पैगंबर मुहम्मद के जीवन से प्रेरित इस उपन्यास ने कुछ मुसलमानों में आक्रोश पैदा कर दिया था, जिन्होंने इसके कंटेंट को ईशनिंदा वाला माना था. 1988 में प्रकाशित होने के बाद इस किताब पर कुछ देशों में प्रतिबंध लगा दिया गया था. 1989 में ईरान के सर्वोच्च नेता रूहोल्लाह खुमैनी ने मुसलमानों को रुश्दी को मारने का आदेश देते हुए एक फतवा जारी किया था.

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