प्रदेश के एडेड और सेल्फ फाइनेंस माध्यमिक विद्यालयों में समर कैंप की मंजूरी मिलने के बाद भी, बेसिक विद्यालयों में इसके आयोजन का विरोध तेज हो गया है। गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप कराने पर शिक्षामित्र और अनुदेशक नाराज हैं और उन्होंने इसका विरोध किया है।
शिक्षक व शिक्षामित्र संगठनों ने भीषण गर्मी और संसाधनों की कमी को ध्यान में रखते हुए समर कैंप को बच्चों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया है। उनका कहना है कि 21 मई से शुरू होने वाले समर कैंप में शिक्षामित्रों और अनुदेशकों की ड्यूटी लगाना अनुचित और अन्यायपूर्ण है।
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के मनोज मौर्य ने बताया कि गर्मी के कारण स्कूलों में बच्चे कम आते हैं, ग्रामीण इलाकों में बिजली की कमी है और कई स्कूलों में अनुदेशक भी नहीं हैं। शिक्षामित्र उत्थान समिति के प्रदेश सचिव उबैद अहमद सिद्दीकी ने भी समर कैंप में शिक्षामित्रों को लगाने का विरोध किया है। आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के राम सागर ने कहा कि विभाग को बताना चाहिए कि क्या शिक्षामित्रों को गर्मी में काम करने से लू नहीं लगती और उनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी कौन लेगा।
परिषदीय विद्यालयों में 21 मई से 15 जून तक समर कैंप का आयोजन होगा, जिसमें शिक्षामित्रों और अनुदेशकों को तैनात किया जाएगा। उन्हें इस दौरान 6000 रुपये मानदेय और 2000 रुपये स्टेशनरी खर्च के लिए विद्यालय को दिए जाएंगे।
हालांकि, प्रदेश के दो प्रमुख शिक्षामित्र संगठनों — उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ और उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ — ने इस मुद्दे पर अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है और न ही उन्होंने शिक्षामित्रों के लिए कोई आवाज उठाई है।