कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे पिता के असहनीय दर्द के बीच, बेटी शायना ने हौंसले की मिसाल पेश करते हुए स्कूल शिक्षा बोर्ड की बारहवीं कक्षा की मेरिट में दसवां स्थान हासिल किया है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद शायना के साहस ने परिवार को राहत दी है। आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी भी शायना के जज़्बे को कमजोर नहीं कर पाई।
सफलता के सफर में मुश्किलें
राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कांगू की छात्रा शायना ने कला संकाय में 500 में से 472 अंक प्राप्त कर प्रदेश में दसवां और जिला में पांचवां स्थान हासिल किया है। शायना का सपना आईपीएस अधिकारी बनने का है। हालांकि, इस मुकाम तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था।
पिता की बीमारी और आर्थिक तंगी से जूझता परिवार
शायना के पिता अश्वनी, जो एक ऑटो चालक हैं, कैंसर की गंभीर बीमारी से लड़ रहे हैं। चार साल पहले पीठ में असहनीय दर्द के कारण ट्रक चलाना छोड़ना पड़ा और जांच में कैंसर की तीसरी स्टेज का पता चला। इस मुश्किल वक्त में परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। शायना उस समय आठवीं कक्षा में थी। इलाज के लिए कर्ज लेकर ऑटो डाला ताकि परिवार की आजीविका चलती रहे।
रिश्तेदारों का सहारा और बेटी का दृढ़ निश्चय
कठिन समय में शायना के मामा-मामी और अन्य रिश्तेदारों ने आर्थिक मदद की। बड़ी बहन मीना ने परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए स्नातक के बाद पढ़ाई छोड़ दी। शायना के मामा सुरेंद्र भट्टी ने उससे वादा किया था कि अगर वह 12वीं में 90 फीसदी से ज्यादा अंक लाएगी तो उसकी आगे की पढ़ाई का खर्च वह उठाएंगे। शायना ने मेहनत कर यह लक्ष्य हासिल कर लिया।
शायना का संदेश
शायना ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और परिवार के सहयोग को दिया। विपरीत परिस्थितियों में भी उसने पढ़ाई जारी रखी और स्कूल के साथ ऑनलाइन माध्यमों से तैयारी कर इस मुकाम को हासिल किया। शायना की यह कामयाबी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का जज़्बा रखते हैं।