ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की नापाक हरकतों का एक और खुलासा हुआ है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान ने स्वर्ण मंदिर पर ड्रोन से हमला करने की कोशिश की थी। इस खतरे से निपटने के लिए स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने परिसर के भीतर एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति दी थी।
भारतीय सेना के वायु रक्षा प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने बताया कि दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों का बेहतर पता लगाने के लिए इतिहास में पहली बार स्वर्ण मंदिर की लाइटें भी बंद की गईं। इससे रक्षा बलों को ड्रोन की पहचान करने और उन्हें मार गिराने में मदद मिली।
एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास कोई वैध लक्ष्य नहीं था, इसलिए उन्हें आशंका थी कि वह भारत में अराजकता फैलाने के लिए नागरिक और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाएगा। इस खतरे से अवगत कराते हुए, स्वर्ण मंदिर प्रशासन ने भी सहयोग दिया, जिसके कारण हमले नाकाम हो सके।
लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान ने यह भी बताया कि भारत किसी भी परिस्थिति में नागरिकों को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि आम तौर पर संघर्ष में हवाई क्षेत्र को बंद किया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया ताकि नागरिक उड़ानें प्रभावित न हों।
उन्होंने रेड टीमिंग की अवधारणा पर भी बात की, जो अमेरिका और इस्राइल द्वारा इस्तेमाल होती है। यह एक रणनीति है जिसमें अपनी कार्रवाई की संभावित चुनौतियों और परिणामों का मूल्यांकन किया जाता है। भारतीय सेना ने इसे हाल ही में अपनाया है और ऑपरेशन सिंदूर में भी इसका उपयोग किया गया।
ड्रोन हमलों को रोकने के लिए भारतीय सेना की तैयारियों पर उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध ने ड्रोन की ताकत को समझने में मदद की। पाकिस्तान भी ड्रोन हमलों में तेजी ला रहा है और अपनी ताकत बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि सीमावर्ती इलाकों में सेना प्रमुख के आदेश पर ड्रोन हमलों का सिमुलेशन अभ्यास भी किया गया ताकि रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाया जा सके।