उद्धव राजी, अब बारी राज ठाकरे की: शिवसेना (यूबीटी) ने जताई गठबंधन की उम्मीद

महाराष्ट्र में राजनीतिक गतिविधियों के बीच एक बार फिर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के बीच संभावित गठजोड़ की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। बुधवार को शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और विधायक अनिल परब ने कहा कि उनकी पार्टी मनसे प्रमुख राज ठाकरे से बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार है।

परब ने मीडिया से बातचीत में कहा, “उद्धव ठाकरे पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह पुरानी बातों को पीछे छोड़कर साथ आने को तैयार हैं। अब निर्णय राज ठाकरे को लेना है कि वह महाराष्ट्र के व्यापक हित में क्या फैसला करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की जनता चाहती है कि दोनों ठाकरे भाई एक साथ आएं और शिवसेना (यूबीटी) इस दिशा में बातचीत के लिए हमेशा तैयार रही है।

परब ने बताया कि अंतिम निर्णय दोनों वरिष्ठ नेताओं को लेना है और पार्टी उनके निर्णय के अनुसार ही आगे की रणनीति तय करेगी। उन्होंने खुद को ‘जूनियर नेता’ बताते हुए कहा कि निर्णय की जिम्मेदारी पूरी तरह वरिष्ठ नेतृत्व पर है।

मनसे नेताओं के विरोध से धीमी पड़ी बातचीत

हाल ही में दोनों ठाकरे नेताओं की ओर से कुछ सकारात्मक संकेत दिए गए थे, जिससे ऐसा लगा कि मतभेद भुलाकर एक मंच पर आने की कोशिश हो रही है। हालांकि, मनसे के कुछ नेताओं के विरोध की वजह से फिलहाल इस बातचीत की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी है।

भाजपा पर भी निशाना, BMC चुनाव को लेकर उठाए सवाल

इसी दौरान, अनिल परब ने राज्य मंत्रिमंडल में एनसीपी नेता छगन भुजबल की एंट्री पर भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी अपने सिद्धांतों से भटक चुकी है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है क्योंकि उन्हें मेहनत का कोई लाभ नहीं मिला।

स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर परब ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ओबीसी आरक्षण के साथ आगामी चार महीनों के भीतर जिला परिषद और नगर पंचायत चुनाव कराए जाने चाहिए। उन्होंने साफ किया कि मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव में किसी तरह की आरक्षण अड़चन नहीं है और केवल सीटों की संख्या पर फैसला शेष है—227 या 236।

शेलार के बयान पर पलटवार

भाजपा नेता आशीष शेलार द्वारा शिवसेना (यूबीटी) की BMC चुनाव में संभावित हार पर की गई टिप्पणी पर जवाब देते हुए परब ने कहा, “क्या वह अब ज्योतिषी बन गए हैं? जनता ही तय करेगी कि कौन जीतेगा। आप अकेले मुंबई के सेवक नहीं बन सकते, प्रतिनिधि जनता द्वारा चुने जाते हैं, मालिक नहीं बनते।”

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